समझाने वाले ही भूले वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, कहीं भवनों से पाइप टूटे, तो कई में लगे ही नहीं
समझाने वाले ही भूले वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, कहीं भवनों से पाइप टूटे, तो कई में लगे ही नहीं

टोक. मानसून में होने वाली बारिश के पानी के सदुपयोग के लिए कई वर्षों पूर्व सभी सरकारी इमारतों पर वर्षा जल संरक्षण के लिए हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए थे, लेकिन कुछ ही समय के बाद रख-रखाव व लापरवाही के कारण पाइप टूट गए है। ऐसे में जिम्मेदारों की ओर से ध्यान नहीं दिए जाने से बारिश के जल का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।
हालात यह है कि कई सिस्टमों से तो पाइप व ढक्कन आदि गायब हो गए। है। ऐसा ही हाल जिले के सबसे बड़े कार्यालय कलक्ट्रेट का भी है। यहां पर भी वर्षा जल संरक्षण के लिए लगाए गए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के पाइप टूट चुके है। इस कारण बरसात का पानी टांके में ना आकर बाहर की ओर व्यर्थ ही बह गया है। वहीं जल बचत का सपना भी धुमिल होता नजर आ रहा है। देखरेख व प्रशासन की अनदेखी के चलते सिस्टमों ने दम तोडऩा शुरू कर दिया।
इसी प्रकार कलक्ट्रेट परिसर में ही स्थित सांख्यिकी विभाग, व सूचना एवं जनसंम्पर्क कार्यालय राजीव गांधी सेवा केन्द्र, घंटाघर स्थित चुनाव कार्यालय, नगर परिषद सहित अन्य सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए लगे पाइप टूट चुके है। साथ ही कई भवन ऐसे भी है, जिनमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही नहीं लगाया गया। जबकि राज्य सरकार के सख्त निर्देश है कि प्रत्येक सरकारी भवन पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी है।
अटल सेवा केन्द्रों में भी जल संरक्षण को लेकर सरकार ने सभी कार्यालयों व भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है। अधिकतर में सिस्टम विकसित नहीं किया गया। जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालयों में बने अटले सेवा केन्द्रों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का अभाव है।
टूट चुके पाइप, नहीं बनी टांके
राजमहल. कस्बे के स्वतंत्रता सेनानी स्व. भूरा राम गुर्जर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के साथ ही राजीव गांधी सेवा केन्द्र भवन के छत्तों के पानी को संग्रहित करने के लिए दोनों भवनों पर योजना के तहत वर्षों पूर्व पाइप लाइने लगाई गई थी, लेकिन अब तक एक बंूद पानी एकत्रित नहीं हुआ है।
वहीं दोनों भवनों में लगे पाइप कई जगहों से उखड़ गए तो कई जगहों से क्षत्रिग्रस्त होकर गिरने के कगार पर है। यहीं हाल क्षेत्र के अन्य सरकारी भवनों का है, जहां योजना पर खर्च की गई करोड़ों की राशी बिना काम में आये बैकार साबित हो रही है।
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