कई बालिकाओं ने खुलकर मन की बात कही। सीता (परिवर्तित नाम) ने ग्राम मित्रों को बताया कि उसका बाल विवाह 7 वर्ष की उम्र में बड़ी तीन बहनों के साथ आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पिता ने कर दिया। अब उसने शिक्षा पूरी करने और 18 वर्ष से पहले ससुराल नहीं जाने से मना कर दिया।
इसी तरह रा.उ.मा.विद्यालय मेहन्दवास में सांप-सीढ़ी के खेल के दौरान पिंकी (परिवर्तित नाम) ने बताया कि 14 वर्ष की उम्र में उसका भी बाल विवाह परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बड़ी बहन के साथ कर दिया।
ससुराल पक्ष गौने के लिए दबाव बनाने लगा, लेकिन उसने मना कर दिया और पढ़ाई पूरी कर अध्यापिका बनना चाहती है। वहीं लता, गीता, माया (परिवर्तित नाम) का भी बाल विवाह हुआ। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनका एक प्रमुख कारण आर्थिक स्थिति कमजोर होना या जागरूकता की कमी होना मुख्य है।
कारवां अपने रथों एवं प्रचार-प्रसार यंत्रों के माध्यम से ग्राम भ्रमण के दौरान ग्राम पंचायत मेहन्दवास और छान में घर-घर दस्तक देकर पालनहार के 8, दिव्यांग पेंशन 4, वृद्धा एक, विधवा एक, श्रमिक एक है। अरनिया केदार में चौपाल का आयोजन हुआ।