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जनता की आवाज की हुई है जीत, राजस्थान पत्रिका ने उठाई थी काला कानून के खिलाफ आवाज

locationटोंकPublished: Feb 20, 2018 08:48:52 am

Submitted by:

pawan sharma

राज्य सरकार को ये कदम बहुत पहले ही उठा लेना चाहिए था, लेकिन हठधर्मिता के चलते इसमें समय लगा।
 

काला कानून

टोंक. काला कानून मामले में जनता की आवाज की जीत राज्य सरकार की ओर से इसे वापस लेकर हो गई है।

टोंक. काला कानून मामले में जनता की आवाज की जीत राज्य सरकार की ओर से इसे वापस लेकर हो गई है। इससे जिलेभर के लोगों में खुशी है। लोगों का कहना है कि राज्य सरकार को ये कदम बहुत पहले ही उठा लेना चाहिए था, लेकिन हठधर्मिता के चलते इसमें समय लगा। लोगों का कहना है कि राजस्थान पत्रिका ने काला कानून को वापस कराने में अहम भूमिका अदा की है। पत्रिका इसके लिए प्रशंसनिय है। पत्रिका हमेशा लोगों की आवाज उठाती रहती है। पेश है लोगों से हुई परिचर्चा…
पत्रिका सराहनीय
राज्य सरकार की ओर से वापस लिए गए काला कानून से जनता की जीत हुईहै। इसके लिए राजस्थान पत्रिका सराहनीय है। कई महीनों तक राज्य सरकार के इस काला कानून के खिलाफ पत्रिका ने मुहीम छेड़ी है। मुहीम प्रदेश की जनता के लिए बेहतर है।
मोईन निजाम, उद्योगपति

याद रहेगा हमेशा
राज्य सरकार की मनमर्जी और बाद में काला कानून को वापस लेना प्रदेश की जनता को सदियों तक याद रहेगा। जनता को ये जीत राजस्थान पत्रिका की मुहीम ने दिलाई है। इसके लिए पत्रिका को साधूवाद।
डॉ. अनिल शर्मा, चिकित्सक।

सरकार को झुकना पड़ा
सरकार को जनता की आवाज राजस्थान पत्रिका के आगे झुकना पड़ा और काला कानून को वापस लेना पड़ा। ये बड़ी जीत है। इससे जनता को राहत मिलेगी और भविष्य में राज्य सरकार ऐसा काला कानून नहीं बनाएगी।
सुनील बंसल, व्यापारी

सत्ता की मनमानी हुई बंद
राजस्थान पत्रिका की मुहीम के चलते राज्य सरकार ने काला कानून वापस लेकर सराहनीय कार्यकिया है। राज्य सरकार को ऐसा कानून बनाना ही नहीं चाहिए, जो मनमर्जीसे बनाया गया हो।
हितेश शर्मा, सेंट सोल्जर, टोंक।

जनता ने बता दिया था
काला कानून बनने के बाद राजस्थान पत्रिका ने मुहीम छेड़ दी। इसके बाद हुए लोकसभा तथा विधानसभा के उपचुनाव में जनता ने बता दिया था कि सत्ता में आने के बाद सरकार की कुछ नहीं चलेगी। नतीजा है सरकार को झुकना पड़ा।
श्यामलाल, टाइपिस्ट।

मनमर्जी नहीं चलेगी
प्रदेश की जनता ने उपचुनाव में भी राज्य सरकार को बता दिया है कि मनमर्जी नहीं चलेगी। अब आने वाले चुनाव में भी नतीजा बता देगी। काला कानून वापस लेने के लिए राजस्थान पत्रिका को साधूवाद।
बैणीप्रसाद साहू, टोंक।
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