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टोंक

सडक़ दुर्घटना में दादा-पोती की मौत, एक ही चिता पर हुआ दोनों का अंतिम संस्कार

Road accident जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित छान के पास शनिवार शाम किसी वाहन की टक्कर से बाइक सवार दादा-पोती की मौत हो गई। वहीं बाइक पर सवार दादी का उपचार सआदत अस्पताल में चल रहा है। दादा-पोती का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया।

टोंकJun 24, 2019 / 06:21 pm

pawan sharma

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सडक़ दुर्घटना में दादा-पोती की मौत, एक ही चिता पर हुआ दोनों का अंतिम संस्कार

टोंक. दूनी. जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित (Jaipur-Kota National Highway) छान के पास शनिवार शाम किसी वाहन की टक्कर Road accident से बाइक सवार Bike rider दादा-पोती की मौत (Death of grandfather and granddaughter in accident) हो गई। वहीं बाइक पर सवार दादी का उपचार सआदत अस्पताल में चल रहा है।
मेहन्दवास थानाप्रभारी सत्यनारायण जाट ने बताया कि मृतक जलेरी थाना घाड़ निवासी अम्बालाल (50) पुत्र सुन्दरा माली व पोती निशु (5) पुत्री संजय माली है। घायल दादी रसाल देवी (48) है। पुलिस ने रविवार सुबह पोस्टमार्टम Post mortem करा शव परिजनों के सुपुर्दकर दिया। दादा-पोती का रविवार को जलेरी गांव में एक चिंता पर अंतिम संस्कार funeral
किया गया।
दादा-पोती के शवों को गांव लाए जाने के दौरान परिजन सुध-बुध खो विलाप कर रहे थे। अंतिम यात्रा में शामिल होने आए परिजन-ग्रामीण भी आंख से आंसू नहीं रोक पा रहे थे। मेहन्दवास थाना प्रभारी ने बताया कि मृतक दादा-पोती व घायल दादी बाइक से टोंक से जलेरी गांव आ रहे थे।
इस दौरान छान से पहले भैंरूजी मंदिर के पास किसी वाहन ने उनकी बाइक को टक्कर मारी दी। इससे तीनों घायल हो गए। सूचना पर पुलिस ने राहगीरों की मदद से उन्हें सआदत अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पोती निशु को चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया।
वहीं दादा अम्बालाल की हालत गंभीर होने पर जयपुर रैफर कर दिया। जहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। घायल दादी रसाल देवी का टोंक के अस्पताल में उपचार चल रहा है।


गांव में मचा कोहराम, परिजन बेसुध
जलेरी गांव में रविवार को जैसे ही दादा-पोती का शव पहुंचा कोहराम मच गया। परिजनों की चित्कार व विलाप गूंज रहा था। कुछ ग्रामीण परिजनों को ढांढ़स बंधाने लगे तो कुछ अंतिम यात्रा की तैयारी करने लगे।
दादा-पोती की अगल-अलग अर्थियां सजा शव यात्राएं गांव के मोक्षधाम पहुंची। जहां एक चिता पर दादा-पोती का अंतिम संस्कार किया गया। गांव में पहली बार हृदय-विदारक दृश्य देख शामिल ग्रामीण व परिजनों की आंख से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे।
संजय व उसकी पत्नी व परिजन एक तरफ अपने पिता के शव को देखते तो दूसरी ओर रखे मासूम निशु के शव को ओर चीख पड़ते। दादा-पोती की मौत के समाचार के बाद जलेरी में शनिवार शाम व रविवार सुबह किसी भी घर में चूल्हे नहीं जले।

नाना-मामा से मिलवाने ले गए थे
जलेरी निवासी मनोहरलाल सैनी ने बताया कि दादा अम्बालाल व दादी रसाल देवी एक जुलाई से खुल रहे विद्यालयों से पहले अपनी पोती निशु को बाइक से उसके ननिहाल में नाना-मामा से मिलवाने टोंक ले गए थे। सुबह से शाम तक वहां रहे और शाम को वापस जलेरी गांव आ रहे थे।
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