तीर्थंकर के कोई रोग होते है न व्याधी उन्हें सताती है। बालक तीर्थंकर का शरीर अत्यन्त सुगंधित होता है। यह बात मुनि ने मंगलवार को पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन जन्मकल्याणक के मौके पर कही।
उन्होंने कहा कि हमें संतति पर बचपन से ही संस्कार डालने के प्रयास करने चाहिए। बच्चों का जीवन संस्कारों से ही पल्लवित होता है। वहीं संस्कारित मनुष्य ही स्वयं का तथा समाज, धर्म का कल्याण करता है।
असंस्कारी व्यक्ति जीवन में कुछ खास नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर के जन्म पर स्वर्ण में इन्द्र भी खुशी से झूम उठे। स्वर्ग में इन्द्र इतने खुशी हुए कि उन्होंने पूरी अयोध्या नगरी को वर्षारत्न से पावन कर दिया।
इससे पहले सोमवार मध्यरात्रि को गर्भकल्याणक की क्रियाये हुई। समाज की ओर से गोद भराई व गर्भशोधन तथा सोलह स्वप्न के कार्यक्रम का मंचन किया गया। इधर, मंगलवार सुबह जन्मकल्याणक पर बालक तीर्थंकर का जन्म हुआ।
सौधर्म इन्द्र(मुकेश-कविता मित्तल)का सिंहासन कम्पायमान हुआ। इस दरम्यान तीर्थंकर के जन्म की सूचना इन्द्र दरबार को देने, धनकुबेर द्वारा अयोध्या नगरी में रत्नवृष्टि करने, महाराज नभिराय के दरबार में बधाई सहित कई कार्यक्रम हुए।
इस मौके पर इन्द्राणी द्वारा बालक तीर्थंकर को ले जाना व जन्माभिषेक के लिए पांडूक शिला लेकर गए। दोपहर को जन्माभिषेक का जैन समाज की ओर शहर में जुलूस निकाला गया। जुलूस चार बग्घी, 31 हाथी व बैण्डबाजों के साथ शहर के मुख्य मार्गों से गुजरा, जिसका कई स्थानों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।
जुलूस में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जो बाद में अयोध्या नगरी पहुंचा। जहां पांडुक शिला पर बालक तीर्थंकर का इन्द्र द्वारा अभिषेक किया गया।
दीक्षा कल्याणक व वेदी प्रतिष्ठा आज: समिति के मीडिया संयोजक विकास जैन ने बताया कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत बुधवार को दीक्षा कल्याणक मनाया जाएगा।
इसमें सुबह सवा 5 बजे नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा पूजन, जन्मकल्याणक विधान पूजन, जाप्य, हवन शांति व इसके बाद मंगल प्रवचन, शांतिनाथ जिनालय के प्रथम तल पर चर्तुर्विंशति जिन चैत्यालय की वेदियों की शुद्धि संस्कार व प्रतिष्ठा होगी।
वहीं दोपहर सवा 12 बजे से वैवाहिक संस्कारपूर्वक आदि कुमार का विवाह, पुत्र-पुत्रियों को शिक्षा सहित संयम शुद्धि उपकरण भेंट व 48 संस्कार होंगे ।
वहीं शाम 7 बजे गुरुभक्ति, शंका समाधान, मंगल आरती, शास्त्रसभा व रात्रि साढ़े 8 बजे भरत-बाहुबली नाट, जिसमें भरत को चक्रवति पद एवं बाहुबली का वैराग्यपूर्वक वनगमन होगा।