गौरतलब है कि बांध का कुल जलभराव 315.50 आरएल मीटर है। इसमें 38.70 टीएमसी पानी भरता है। इस बार गत 30 सितम्बर को बांध में पानी की आवक रुकने के दौरान बांध का गेज 313.88 आरएल मीटर दर्ज किया गया था। इसमें 27.04 टीएमसी पानी था। वहीं शुक्रवार सुबह बांध का गेज 310.88 आरएल मीटर दर्ज किया गया है।
इसमें 13.58 टीएमसी पानी शेष बचा हुआ है, जो कुल जलभराव का 35 प्रतिशत पानी शेष है। इससे विभाग के अभियंताओं के अनुसार अगर बारिश के दौरान पानी की आवक नगण्य रहती है तो बचे हुए पानी से फरवरी माह तक ही जलापूर्ति सम्भव है, उसके बाद नहीं।
अब तक बांध से गया पानी:
बांध परियोजना के सहायक अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि इस बार पानी की कमी के साथ ही सिंचाई के लिए दोनों मुख्य नहरों से कुल 4 टीएमसी पानी छोड़ा गया था। वहीं गत 31 मार्च तक 9.35 टीएमसी पानी जलापूर्ति में दिया जा चुका है।
बांध परियोजना के सहायक अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि इस बार पानी की कमी के साथ ही सिंचाई के लिए दोनों मुख्य नहरों से कुल 4 टीएमसी पानी छोड़ा गया था। वहीं गत 31 मार्च तक 9.35 टीएमसी पानी जलापूर्ति में दिया जा चुका है।
इसी के साथ 5 टीएमसी पानी वाष्पीकरण व अन्य में खर्च हो चुका है। बंसल ने बताया कि जलापूर्ति के लिए कितना पानी लेना है, यह जल संसाधन विभाग तय करता है। बांध से वाष्पीकरण के साथ ही कुछ मात्रा में किनारों के किसान भी खेती के लिए पानी चोरी करते हंै।
पांच माह का पानी हुआ व्यर्थ: अभियंताओं के अनुसार इस बार गत 31 मार्च तक कुल 5 टीएससी पानी वाष्पीकरण व अन्य में खर्च हुआ है। यह पानी जयपुर, अजमेर व टोंक पेयजल परियोजना से जुड़ी लगभग 50 से 60 लाख की आबादी के लिए पांच माह तक कण्ठ तर कर सकता था।
वहीं जयपुर शहर को इस पानी से लगभग आठ से दस माह तक जलापूर्ति की जा सकती थी। पानी चोरी रोकने व वाष्पीकरण कम करने में कारगर कदम उठाए जाए तो हर वर्ष काफी मात्रा में पानी की बचत हो सकती है, जो जलापूर्ति के साथ ही सिंचाई में काम लिया जा सकता है।
यहां हो रही आपूर्ति
बीसलपुर बांध से वर्तमान में जयपुर पेयजल परियोजना के तहत रोजाना 550 एमएलडी पानी दिया जा रहा है।इसमें मालपुरा व झिराना कस्बा शामिल है। इसी प्रकार अजमेर जिले में 300 एमएलडी व बीसलपुर टोंक उनियारा पेयजल परियोजना में 20 एमएलडी पानी दिया जा रहा है। तीनों को मिलाकर एक महीने में लगभग एक टीएमसी पानी जलापूर्ति में खर्च हो रहा है। लगभग आधा टीएमसी पानी हर माह वाष्पीकरण व सिंचाई के लिए पानी चोरी में माना जा रहा है।
बीसलपुर बांध से वर्तमान में जयपुर पेयजल परियोजना के तहत रोजाना 550 एमएलडी पानी दिया जा रहा है।इसमें मालपुरा व झिराना कस्बा शामिल है। इसी प्रकार अजमेर जिले में 300 एमएलडी व बीसलपुर टोंक उनियारा पेयजल परियोजना में 20 एमएलडी पानी दिया जा रहा है। तीनों को मिलाकर एक महीने में लगभग एक टीएमसी पानी जलापूर्ति में खर्च हो रहा है। लगभग आधा टीएमसी पानी हर माह वाष्पीकरण व सिंचाई के लिए पानी चोरी में माना जा रहा है।
बांध से वर्तमान में रोजाना लगभग एक टीएमसी पानी लिया जा रहा है। इसका आधा पानी लगभग वाष्पीकरण आदि में खर्च हो रहा है। वैसे बारिश के दौरान वापस बांध के गेज में बढ़ातरी होती है।
हरलाल, सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग सूरजपुरा।
हरलाल, सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग सूरजपुरा।
वाष्पीकरण को रोका नहीं जा सकता है। वहीं बांध क्षेत्र में पानी चोरी नगण्य है। फिर भी 212 वर्ग किमी के जलभराव क्षेत्र में रोजाना नजर रखना असम्भव है।
मनीष बंसल, सहायक अभियंता बीसलपुर बांध परियोजना देवली।
मनीष बंसल, सहायक अभियंता बीसलपुर बांध परियोजना देवली।