उल्लेखनीय है कि ढाई वर्ष पहले आरएसआरडीसी के तहत करीब सवा तीन सौ करोड़ की लागत से जयपुर-कोटा वाया टोंक व जयपुर-अजमेर वाया किशनगढ़ चारलेन मार्ग को जोडऩे के लिए करीब105 किमी. लम्बा दूदू-छाण वाया टोडारायसिंह-मालपुरा 37 ए स्टेट हाइवे का निर्माण कराया गया था। साढ़े 7 मीटर चौड़ाई में निर्मित सडक़ मार्ग के दोनों ओर ढाई-ढाई मीटर की ग्रेवल वाइडिंग (चौड़ाई) की गई।
उक्त सीमा में सुरक्षा दीवार, पुलिया की दीवार निर्माण के अलावा साइन बोर्ड लगाए गए है। स्थिति यह है कि विभाग के तहत उक्त सडक़ किनारे हरियाळी विकसित करने को लेकर पौधे लगाए जाने थे। दो वर्ष गुजर गया, पिछले डेढ़ वर्ष से उक्त मार्ग पर विभाग की ओर से टोल वसूला जा रहा है, लेकिन पौधे लगाने से पहले ही सडक़़ किनारे वाइडिंग में जूली फ्लोरा ने पैर पसार लिए है।
हालात यह है कि सीसी रोड व डामरीकृत सडक़ किनारे करीब ढाई मीटर चौड़ाई में बबूलों की हरियाळी तो है, लेकिन कटीली झांडिय़ा, घुमाव पर सामने से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देने से दुर्घटना का सबब बनी हुई है। यहीं नहीं साइन बोर्ड व किमी. अंकन के लिए लगाए गए पत्थर भी विलायती बबूलों से दृष्टिगत नहीं होने से वाहन चालक रात में ही नहीं दिन में भी भ्रमित रहते है।
डिवाइडर पर भी बबूल विधायक कन्हैयालाल चौधरी की पहल पर विभाग ने कस्बे से कांकरा बालाजी तक करीब दो किमी. तक सौंदर्यकरण की दृष्टि से फुलवारी विकसित करने के साथ साइन बोर्ड अंकित किए जाने को लेकर डिवाइडर का निर्माण करवाया था। अनदेखी के बीच यहां भी फूलवारी की जगह बबूल उग आए है।
इन बबूलों में बैठे मवेशियों के आने से दुपहिया वाहनचालक दुर्घटना का शिकार हो रहे है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि सडक़ निर्माण के दौरान कई हरे वृक्षों को काटा गया था। विभाग के तहत पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से सडक़ किनारे विलायती बबूलो को हटाने के साथ पौधे लगाने चाहिए।
बारिश में स्टेट हाइवे किनारे वाइडिंग में विलायती बबूलों की संख्या बढ़ जाती है। बारिश का मौसम समाप्त होते ही आगामी सप्ताह में इन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
राजेन्द्र मीणा, सहायक अभियंता आरएसआरडीसी ग्रामीण क्षेत्र की सम्पर्क सडक़ों पर उगे विलायती बबूलों को हटाने के लिए संभागीय आयुक्त अजमेर आरुषि मलिक के निर्देश करीब 45 सडक़ मार्ग के प्रस्ताव भिजवाए गए है।
पींटू मीणा, सहायक अभियंता पीडब्ल्यूडी