यह पदयात्रा 19 मार्च को टोंक से रवाना होने वाली पदयात्रा में शामिल होगी। पदयात्रा मेहंदवास, भरनी, संथली, बंथली, सिरोही, अमरवासी, जहाजपुरए पंडेर, तसवारिया होते हुए 23 मार्च को शाहपुरा पहुंचेगी। जहां जुलुस एवं कनक दण्डवत के रूप में श्रीरामनिवास धाम में रामनाम स्तंभ व बारहदरी के दर्शन करेंगे। इसके बाद आचार्य श्रीरामदयाल के दर्शन कर आशीर्वाद लेंगे।
पदयात्रा में पीपलू, बनवाड़ा, रानोली, टोंक, महाजनपुरा, निवाई, टोंक, राजसमन्द, सवाईमाधोपुर सहित अनेक स्थानों के पदयात्री शामिल होंगे।
सतसंग से संस्कारों का निर्माण
निवाई. सिंधी धर्मशाला के निरंकारी सत्संग भवन में महात्मा कमल हरचंदानी के सान्निध्य में आध्यात्मिक निरंकारी सत्संग हुआ। महात्मा कमल ने बताया कि मनुष्य पूरे सप्ताह सांसारिक माया से इस कदर घिरे हुए रहते हैं।
सतसंग से संस्कारों का निर्माण
निवाई. सिंधी धर्मशाला के निरंकारी सत्संग भवन में महात्मा कमल हरचंदानी के सान्निध्य में आध्यात्मिक निरंकारी सत्संग हुआ। महात्मा कमल ने बताया कि मनुष्य पूरे सप्ताह सांसारिक माया से इस कदर घिरे हुए रहते हैं।
चाह कर भी अपने आप को निरंकार से जोड़ नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि फिर भी जैसे किसी जलती धूप में चलते-चलते किसी राही को किसी पेड़ की छाया मिल जाती है। उसी प्रकार हमें रविवार को सत्गुरु की संगत मिल जाती है।
जहां सन्तों-महापुरुषों की संगत प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि सतसंग से संस्कारों का निर्माण होता है। माया से लडऩे की ऊर्जा प्राप्त होती है। सत्गुरु माता सुदीक्षा ने बताया कि वर्तमान में हर जगह सुनने को मिल रहा है कि जीवन में बहुत तनाव है। माताजी ने फिसिक्स का उदाहरण देते हुए बताया कि जिस प्रकार एक रस्सी पर एक बाल्टी बांधकर कुए से पानी खींचकर बाहर निकालते हैं, तो पानी निकालते समय उस रस्सी पर तनाव आ जाता है।
वह तनाव उस रस्सी पर इसलिए आता है क्योंकि उस रस्सी ने अपने साथ वजन को बांधे हुआ है। उसी प्रकार जब हम हमारे ऊपर मैं का वजन बांधा हुआ हैं कि यह सब मैं कर रहा हूँ, मुझे मेरे परिवार का पालन-पोषण करना है, मुझे मेरे बच्चों की शादी करवानी है तो इन सारे मैं का वजन हमारे जीवन में तनाव का कारण बनता है। माता सुनीता द्वारा संचालन किया। केकड़ी की तनु एवं जतिन ने भजन गाकर रहमते बटोरी।