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श्रीराम महायज्ञ की पुर्णाहुति पर विश्व कल्याणार्थ हवन में दी आहुति

locationटोंकPublished: May 29, 2019 04:31:27 pm

Submitted by:

pawan sharma

श्रद्धालु महायज्ञ में पहुंच कर यज्ञ मण्डप के परिक्रमा की, तथा संतों के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।
 

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श्रीराम महायज्ञ की पुर्णाहुति पर विश्व कल्याणार्थ हवन में दी आहुति

टोडारायसिंह. श्री सांवरिया सरकार आश्रम कोटड़ी में 21 कुण्डीय श्रीरामहायज्ञ की मंगलवार को संत समागम के बीच वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विश्व कल्याणार्थ यज्ञ हवन में आहुति दी। इधर, महायज्ञ की पुर्णाहुति व संत समागम देखने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

उल्लेखनीय है कि कोटड़ी में नवनिर्मित मंदिर में मूर्ति स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा तथा मंदिर शिखर (कलश) व ध्वज स्थापना को लेकर पिछले नौ दिन से आश्रम परिसर में राष्ट्रीय निर्मोही सेवा संस्था की ओर से 21 कुण्डीय श्रीराम महायज्ञ का आयोजन हुआ।
इधर, सुबह से महायज्ञ में श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रही। निर्मोही संत राधे तथा वैष्णव धाम हीरापुरा जयपुर के महंत मंसाराम दास, रमण बिहारी दास के सान्निध्य में प्रधान कुण्ड पर प्रेमनाथ योगी, चेतन पारीक व अन्य कुण्डों पर श्रद्धालुओं यज्ञाचार्य राजेश शर्मा की देखरेख में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पुर्णाहुति की आहुति दी।
श्रद्धालु महायज्ञ में पहुंच कर यज्ञ मण्डप के परिक्रमा की तथा संतों के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इधर, श्रद्धालुओं ने भी श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में प्रस्तुत भागवत कथा तथा पूर्व रात्रि में श्री दामोदर रास मण्डल वृंदावन की ओर से प्रस्तुत रासलीला में भक्तिरस का आनंद लिया।
समापन पर समिति अध्यक्ष लादूलाल धाकड़, उपाध्यक्ष सुखलाल जाट, रतन बागड़ी, कोषाध्यक्ष बीएल बालावत, सावर लाल खठाणा, सचिव राजेश शर्मा, प्रवक्ता नवलकिशोर जांगिड़, कमलेश पारीक, हंसराज गुर्जर समेत अन्य सदस्य मौजूद थे।

तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न
रानोली कठमाणा. क्षेत्र के नानेर के रहीमपुरा उर्फ नयागांव में तीन दिवसीय सीताराम, हनुमत, शिव परिवार भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव सोमवार को मूर्ति व कलश स्थापना तथा ध्वजा फहराने के साथ संपन्न हुआ।
तीन दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन महापूजन, नवकुंडीय यज्ञों की पूर्णाहूति, महाआरती, प्रसादी के आयोजन हुआ। इसके बाद मंदिर पर स्वर्ण कलश स्थापना एवं ध्वजारोहण किया गया।

इस मौके आचार्य दिनेश शास्त्री श्रद्धालुओं से कहा कि मनुष्य को श्रद्धा के अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव को समाप्त करने के लिए परंपरागत संस्कृति व संस्कार अपनाने चाहिए। इस दौरान नरेन्द्र जाट, भंवर पारल्या, महेश, मुकेश, प्रधान, शंकर जांगिड़, सियाराम पायलेट, बद्री, राजाराम राव, गिर्राज जाट आदि मौजूद थे।

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