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#sehatsudharosarkar: video @ अस्पतालों को उपचार की दरकार

locationटोंकPublished: Sep 16, 2017 03:23:36 pm

Submitted by:

pawan sharma

संसाधनों समेत चिकित्सकों की कमी से मरीजों को जिले में उचित परामर्श भी नहीं मिल रहा। वरिष्ठ विशेषज्ञों की कमी वर्षों से खल रही है।

सेहत सुधारो सरकार

टोंक. संसाधनों समेत चिकित्सकों की कमी से मरीजों को जिले में उचित परामर्श भी नहीं मिल रहा। वरिष्ठ विशेषज्ञों की कमी वर्षों से खल रही है।

टोंक.

संसाधनों समेत चिकित्सकों की कमी से मरीजों को जिले में उचित परामर्श भी नहीं मिल रहा। वरिष्ठ विशेषज्ञों की कमी वर्षों से खल रही है। पत्रिका टीम ने जांच, दवा व स्टाफ की स्थिति खंगाली तो अस्पतालों को उपचार की जरूरत महसूस हुई। सआदत समेत जिले के सभी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा वितरण योजना की आधी दवाइयांं भी मरीजों को नहीं मिल रही।
अधिकांश दवा बाजार से खरीदनी पड़ रही है। कई बार रक्त की कमी होने से मरीजों की जान पर बन आती है। ऑटो फिल्म प्रोसेसर के अभाव में मरीजों को समय से एक्स-रे सुविधा नहीं मिल रही। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में वेंटीलेटर बंद पड़े हैं। करीब 13 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। शहर की तीनोंं डिस्पेंसरियों में कम्पाण्डर ही उपचार कर रहे हैं।

दवा के लिए कतार
सआदत अस्पताल में दवा के लिए पांच दवा वितरण केन्द्र हैं। इनमें से अधिकांश बंद रहते हैं। खुली रहने वाले केन्द्र पर मरीजों की लम्बी कतार लग जाती है। घंटों कतार में लगने के बाद ही दवा उपलब्ध हो रही है। इससे नि:शक्तजन व वरिष्ठ नागरिकों में नाराजगी है। जिले के किसी भी अस्पताल में नि:शुल्क दवा वितरण योजना के तहत पूरी दवा मरीजों को नहीं मिल रही।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मांग के बावजूद आधी दवाइयां ही उपलब्ध हो रही है। योजना के तहत जिला अस्पतालों में चार सौ प्रकार की दवाइयां मरीजों के लिए उपलब्ध कराना था। वर्तमान में सआदत अस्पताल में डेढ़ सौ से दो सौ दवाइयां ही मरीजों को बांटी जा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि दर्द निवारक ट्यूब भी नहीं मिल रही।

पलंगों के लिए तकरार
बदलते मौसम के बीच रोजाना भारी संख्या में उल्टी, दस्त व बुखार के रोगी सआदत अस्पताल पहुंच रहे हैं। जहां पलंगों का अभाव नर्सेजकर्मियों पर भारी साबित हो रहा हैं। मरीजों व चिकित्साकर्मियों के बीच तकरार बढऩे लगी है। पलंग के अभाव में कई बार मरीजों को बैंच पर लिटाना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबन्धन की ओर से पलंगों की संख्या मौसम के अनुसार नहीं बढ़ाई जा रही।

गंदगी का आलम
स्वस्थ होने की आस लेकर अस्पताल आ रहे मरीज संक्रमण लेकर लौट रहे हैं। जनाना अस्पताल के विभिन्न वार्डों के पिछले हिस्सों में लगे ढेर मरीजों की तबीयत नासाज करने में काफी है। ये गंदगी जननियों व शिशुओं को संक्रमण की दावत दे रही है। प्रसव किटों का अभाव है। प्रसव में काम लिए जाने वाले औजार भी वर्षों पुराने हैं। कैंची की धार जहां कम हो चुकी है।

दिन में ही सुविधा
राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे मेहंदवास के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दिन में ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। हादसा रात्रि में हो तो घायल को सआदत अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है। विभाग का कहना है कि चिकित्साकर्मियों के अभाव में 24 घंटे उपचार सुविधा सम्भव नहीं है। फार्मासिस्ट के अभाव में कम्पाउण्डर दवा बांट रहे हैं।
दवा वितरण केन्द्रों में नहीं है फ्रिज
भर्ती मरीजों को वार्ड में ही दवा उपलब्ध कराने के लिए दवा वितरण केन्द्र तो खोले गए पर संसाधनों का अभाव है। केन्द्रों में जहां फ्रिज का अभाव है, वहीं स्टाफ का अभाव नर्सेज को चकरी बना रहा है। दिन में दर्जनों बार बाहर आकर फ्रिज से दवा ले जानी पड़ रही है।
केन्द्रों में एसी के स्थान पर पंखें लगे हैं। भीषण गर्मी के चलते वार्ड का तापमान सामान्य से अधिक होने से कक्ष में रखी दवाइयां प्रभावित हो रही है। टीटी, रेबीज, इन्सूलिन, एसटीके (हार्ट में काम लिया जाने वाला) समेत अन्य कई दवा बाहर स्थित दवा वितरण केन्द्र में रखनी पड़ रही है।
कैसे मिले ऑपीनियन
सआदत अस्पताल में वर्षों से रेडियोलॉजिस्ट का पद रिक्त है। इससे खासकर दुघर्टना के मामले ज्यादा प्रभावित हो रहे है। एक्सपर्ट ऑपीनियन नहीं मिल रही। ऐसे में कई मामले न्यायालय में जाते ही कमजोर साबित हो रहे हंै। सभी अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम (अग्निशमन-प्रणाली) का अभाव है।
जबकि अस्पताल में प्रतिदिन औसतन डेढ़ हजार का आउटडोर व हजार से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। सुरक्षा को लेकर अस्पताल प्रबन्धन बेखबर है। सुरक्षा में चूक बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

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