स्वास्थ्य से ये कैसा खिलवाड़?
टोंकPublished: Apr 08, 2016 11:48:00 pm
यातायात नियमों की पालना कराने में परिवहन विभाग कितना सजग है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है
टोंक।यातायात नियमों की पालना कराने में परिवहन विभाग कितना सजग है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यातायात सप्ताह मनाने के बाद वाहनों की जांच भी भूला दी जाती है। इसका परिणाम ये है कि प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र के बिना कई वाहन शहर में दौड़ रहे हैं। इससे घनी आबादी में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। जबकि प्रमाण-पत्र के बिना कोई भी वाहन नहीं चला सकता।शहर के हालात ये हैं कि कई वाहन तो इतना धुआं छोड़ते हैं कि पीछे चल रहे दुपहिया वाहन चालक को वाहन रोकना पड़ जाता है। चालक मुंह पर कपड़ा बांधकर दुपहिया वाहन चलाने को मजबूर हैं।
इसके बावजूद इन बिना प्रमाण-पत्र वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही।जयपुर से निकाले गए ऐसे वाहन शहर में दौड़कर ‘जले पर नमक छिड़कनेÓ का काम कर रहे हैं। जयपुर में डीजल के ऑटो बंद करने के बाद ये टोंक शहर में दौडऩे लगे हैं। इससे प्रदूषण और बढ़ रहा है। जिले में करीब एक लाख 50 हजार वाहन हैं। इनमें से 30 प्रतिशत वाहन चालकों के पास प्रदूषण नियंत्रण का प्रमाण-पत्र नहीं है। बाइक के हालात तो यह है कि नई लेने के दौरान ही प्रदूषण की जांच होती है। इसके बाद जांच नहीं कराई जाती है। कई शौकिया बाइकर्स बाइक का साइलेंसर खुलवाकर शहर की सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। इससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य पर डालता है असर
वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य पर काफी गहरा असर डालता है। चिकित्सकों के अनुसार वाहन से निकलने वाला धुआं सीधे फेफड़ों तक जाता है। इससे सांस लेने में तकलीफ होती है। साथ ही दमे की भी बीमारी बन जाती है।
जुर्माने का है प्रावधान
वाहन की जांच करने पर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र नहीं मिलता तो जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन ये जांच साल में एक-दो बार ही की जाती है। इसके चलते शहर में अधिकतर वाहन बिना प्रमाण-पत्र के ही दौड़ते हैं।
यह है विभाग के पास
वाहनों की जांच के लिए परिवहन विभाग ने दो मोबाइल टीम बना रखी है। एक टीम जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजामार्ग स्थित सोहेला तथा दूसरी देवली में रहती है। जिले के अन्य शहरों तथा कस्बों में जांच कराने के लिए महज 5 सेंटर खोले हैं। ये सेंटर निजी मोबाइल पेट्रोल पम्प पर संचालित हैं। पम्प के कर्मचारी ही वाहन की जांच करते हैं। इसके अलावा विभाग के उडऩ दस्ते भी गाहे-बगाहे वाहनों को रोककर जांच कर लेते हैं। यातायात पुलिस के पास तो जांच के साधन ही नहीं है।
जाम में होते हैं हालात खराब
प्रदूषण की जांच कराने तथा नहीं कराने वाले वाहनों का पता जाम के दौरान लगता है। जाम में फंसे अधिकतर वाहन धुआं छोड़ते रहते हैं। इससे अन्य वाहनों में सवार लोगों को सांस लेना दुश्वार हो जाता है। प्राचीन टोंक शहर की सड़कें तथा गलियां छोटी होने से दिन में कई बार वाहनों का जाम लगता रहता है। ऐसे में दर्जनों वाहनों की कतार लग जाती है। इस दौरान कई वाहनों से निकलने वाला धुआं सवारियों समेत आस-पास के दुकानदारों को परेशान कर देता है।
जांच करते हैं
वाहनों की नियमित रूप से जांच की जाती है। आगे भी वाहनों की जांच जारी रहेगी। प्रमाण-पत्र लेना जरूरी है। नहीं लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।राजीव त्यागी, जिला परिवहन अधिकारी, टोंक।
कार्रवाई करेंगे
शहर की यातायात शाखा में अभी फिलहाल नफरी की कुछ कमी है। जल्दी ही पर्याप्त जाप्ता मिलने वाला है। इसके बाद ऐसे वाहनों की पूरी जांच की जाएगी। बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र के दौडऩे वाले वाहनों के चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कजोड़मल पहाडिय़ा, यातायात प्रभारी, टोंक