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कोरोना में स्कूल हुए लॉक तो बदला कारोबार, निजी स्कूल संचालक बेच रहा खरबूज व तरबूज

locationटोंकPublished: Jun 14, 2021 03:09:48 pm

Submitted by:

pawan sharma

सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन के कारण कई निजी व सरकारी सस्थानों पर फिर से ताले लटक गए है। परिवार व घर खर्च चलाने के लिए आर्थिक संकट से जूझ रहे एक स्कूल संचालक ने तो मजबूरन अपना रोजगार का साधन ही बदल दिया। लॉकडाउन के कारण बंद हुए एक निजी स्कूल संचालक ने तरबूज बेचने का काम शुरूकिया है।

कोरोना में स्कूल हुए लॉक तो बदला कारोबार, निजी स्कूल संचालक बेच रहा खरबूज व तरबूज

कोरोना में स्कूल हुए लॉक तो बदला कारोबार, निजी स्कूल संचालक बेच रहा खरबूज व तरबूज

टोंक. सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन के कारण कई निजी व सरकारी सस्थानों पर फिर से ताले लटक गए है। परिवार व घर खर्च चलाने के लिए आर्थिक संकट से जूझ रहे एक स्कूल संचालक ने तो मजबूरन अपना रोजगार का साधन ही बदल दिया। लॉकडाउन के कारण बंद हुए एक निजी स्कूल संचालक ने तरबूज बेचने का काम शुरू
किया है। टोंक शहर के मोहल्ला बहीर निवासी खुश मोहम्मद गौरी पिछले कई सालों से अपना निजी स्कूल नेहरू चिल्ड्रन्स एकेडमी बहीर में ही शुरू किया था।
आठवीं तक इस स्कूल से स्वयं तथा बेरोजगार युवक व युवतियों को रोजगार मिलने से वह संतुष्ट थे, लेकिन पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों पर लगे लॉक से न तो बकाया फीस ही आई न ही कोई नए बच्चों का एडमिशन हुआ। ऐसे हालातों में स्कूल फिर से शुरू हो पाते वैसे ही कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी।
पिछले साल लॉकडाउन में ही बहीर निवासी खुश मौहम्मद गौरी ने अपने परिवार की दो वक्त की रोटी के इंतजाम के लिए तरबूजों व खरबूजों को अपना रोजगार का साधन बनाया, जिसने चित्तौडगढ़ से सम्पर्क करके अपनी पिकअप का पास बनवाया। चित्तौडगढ़़ के काश्तकारों से सम्पर्क कर वहां से तरबूज व खरबूजे लेकर टोंक में गली मोहल्लों में जाकर बेचना शुरू किया है।
लॉकडाउन लग जाने से खुश मौहम्मद गौरी ने फिर से चित्तौडगढ़़ से मधु किस्म के खरबूजे लाकर अपना रोजगार शुरू किया है। गौरी का कहना है कि एक बार मे वह 35 हजार रुपये के खरबूजे खरीद करके लाता है जिसका किराया भाड़ा आदि निकल करके करीबन 10 हजार रुपये की बचत हो जाती है।
उसका कहना है कि कभी घाटा भी लग जाता है जैसे बरसात होने या ठंड हो तो खरबूजे बिक नही पाते जिससे वह खराब हो जाते है। खुशी मौहम्मद गौरी का कहना है कि कोरोना संक्रमण से लगे लॉकडाउन ने न सिर्फ प्राइवेट स्कूलों के ताले लगा दिए बल्कि बेरोजगार हो गए ऐसे हालातों में परिवार का खर्चा चलाने के लिये कोई दूसरा कामकाज तलाशना पड़ रहा है।

पचेवर. कस्बा निवासी विनोद साहू जो कि पिछले दस वर्षों से गर्मी के दिनों में कुल्फी बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। कोरोना काल में अपने व्यवसाय को बदलना पड़ा है। विनोद साहू ने कहा कि पिछले साल भी लॉकडाउन में खाली ही घर पर बैठे रह गए। फिर खाने पीने की दिक्कत हुई तो सब्जी बेचना शुरू कर दिया। इससे परिवार के खाने पीने भर की कमाई कर लेता है।
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