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#sehatsudharosarkar: video व्यवस्थाओं से बीमार, कैसे हो उपचार

जिले के सभी अस्पतालों में पलंगों की भारी कमी है। एक पलंग ही दो मरीजों को आवंटित किए जा रहे हैं।

टोंकSep 14, 2017 / 02:13 pm

pawan sharma

 सआदत अस्पताल

टोंक. सर्दी, खांसी, जुकाम के साथ-साथ अन्य रोगियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। हालात यह है कि जिले के सआदत अस्पताल में ही प्रतिदिन डेढ़ हजार से अधिक का आउटडोर रहने लगा है।

टोंक.

सर्दी, खांसी, जुकाम के साथ-साथ अन्य रोगियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। हालात यह है कि जिले के सआदत अस्पताल में ही प्रतिदिन डेढ़ हजार से अधिक का आउटडोर रहने लगा है। इसके साथ ही भर्ती मरीजों का दबाव बढऩे के बीच संसाधनों व स्टाफ की कमी से चिकित्साकर्मियों के हाथ-पैर फूल रहे हैं।
जिले के सभी अस्पतालों में पलंगों की भारी कमी है।
एक पलंग ही दो मरीजों को आवंटित किए जा रहे हैं। गत वर्ष जहां मलेरिया व डेंगू रोगियों की संख्या अधिक थी, वहीं इस वर्ष स्वाइन फ्लू व डेंगू के लक्षण सामने आ रहे हंै। जिला अस्पताल समेत सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में संसाधनों का टोटा है।

जबकि मरीजों का भार लगातार बढ़ रहा है। इसका कारण दिन में तपन व रात को पड़ रही ठण्ड है। आलम यह है कि अस्पताल खुलने से पहले ही चिकित्सक कक्ष में रोगियों की कतार लग जाती हैं। चिकित्सक के आते ही टेबिल पर पर्चियों का अम्बार मिलता है। नि:शुल्क दवाइयां मरीजों को आधी ही मिल पा रही है। जांच केन्द्रों पर लगी भीड़ के चलते मरीज निजी लैब पर जांच कराने को विवश हैं।

हकीकत के आगे दावे बौने
जिले के सबसे बड़े सआदत अस्पताल में सुविधाओं को लेकर सरकार उदासीन है। डेंगू व मलेरिया पर अंकुश के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से बचाव के लिए बस कुछ स्थानों पर दवा का छिडक़ाव कर इतिश्री कर ली जाती है। जबकि जिले में कई खाली प्लाट व गड्ढों में भरा पानी डेंगू व मलेरिया के मच्छर पनपाने में सहायक साबित हो रहा है।

कौन दे परामर्श?
चिकित्सकों के रिक्त पदों के चलते मरीजों को उचित परामर्श भी नहीं मिल रहा। दो वरिष्ठ विशेषज्ञों की कमी वर्षों से चली आ रही है। डेढ़ दर्जन नर्सेजकर्मियों पद रिक्त हंै। जांच केन्द्र में काम कर रहे लैब टैक्नीशियनों का कहना है कि दो सप्ताह से तो जांच का अतिरिक्त भार आ गया है। सप्ताहभर पहले तक जहां डेंगू की जांच नहीं के बराबर होती थी। अब प्रतिदिन औसतन 70 से 80 रोगियों की जांच हो रही है। इसी प्रकार सीबीसी व अन्य का भी दोगुना भार है।
रैफर ही उपचार
विशेषज्ञों समेत वरिष्ठ चिकित्सकों की कमी के चलते एलाइजा टैस्ट, स्वाइन-फ्लू समेत अन्य भयावह रोग की चपेट में आने से चिकित्सक मरीजों को रैफर करना ही उचित समझते हैं। जिले में डेंगू व अन्य बीमारियों से ग्रसित रोगी भी सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के स्थान पर निजी अस्पताल का रुख कर रहे हैं। अस्पताल प्रबन्धन के मुताबिक इसका एक कारण चिकित्सकों व संसाधनों का अभाव है।
अकेले पर दारोमदार
सआदत अस्पताल में आउटडोर समय समाप्त होने के बाद भर्ती सभी मरीजों का भार अकेले चिकित्सक पर आ जाता है। जबकि अस्पताल में सर्जिकल, मेडिकल के महिला व पुरुष के अलग-अलग वार्ड है। इनके अलावा आईसीयू के मरीज भी आपातकाल में बैठे चिकित्सकों को ही देखना पड़ता है।

चिकित्सक कुर्सियों पर नहीं मिलते। इससे मरीजों को त्वरित उपचार नहीं मिल पाता।
बिशनलाल यादव, अरनिया नील

उनकी रिश्तेदार के जांच में डेंगू के लक्षण मिले है। निवाई से टोंक रैफर कर दिया गया। इसके बावजूद सुविधाएं नहीं मिली।
कृष्णा खंगार, टोंक


उपचार शुरू होना तो बाद की बात है। इससे पहले तो परामर्श, जांच व दवा लेने के लिए कतार के बीच मशक्कत करनी पड़ती है।
जावेद खान, टोंक


जिले की स्थिति
जिला अस्पताल ०2
सामुदायिक अस्पताल ०9
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 59
उप स्वास्थ्य केन्द्र 290

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