जिले में सर्वाधिक पत्थरों का खनन देवली ब्लॉक में होता है। देवली क्षेत्र के चांदली माता मंदिर के समीप तीन पहाडिय़ों पर इतना खनन हुआ कि उनके नामों-निशान मिट गए। पत्थर के लालच में खननकर्ताओं ने इनको कई मीटर गहरी खाइयों में तब्दील कर दिया।
यहां भी कम नहीं खनन
वन क्षेत्र टोंक, मालपुरा तथा टोडारायसिंह में पहाड़ों पर खनन जारी है। प्रतिदिन दर्जनों की तादाद में पत्थर से भरे ट्रक गुजर रहे हैं। वन विभाग कभी कभार फोरी कार्रवाई करता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अवैध रूप से किए जाने वाले खनन पर नियमित कार्रवाई नहीं की जा रही है।
– खनन से उठने वाले धुएं तथा मिट्टी से चर्म रोग तथा अस्थमा रोग का खतरा।
– वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
– मानसून पर भी होगा प्रभाव।
– भू-गर्भ स्थित पानी का स्तर में भी गिरावट।
– खनन से रेगिस्तानी क्षेत्र भी बढ़ रहा है।
– जमीन बंजर होती जा रही है।
– खेती करना भी हो जाएगा मुश्किल।
बनास नदी में अंधा-धुंध किए गए बजरी खनन से जलदाय विभाग के 90 प्रतिशत कुएं क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हालांकि पहले भी तीन साल पहले जनवरी 2016 में इन कुओं के समीप अस्थायी चौकी लगाई गई थी, लेकिन उसे कुछ दिनों बाद ही हटा लिया गया।
खननकर्ता बरसात व पानी के बीच भी खनन कर रहे हैं। जबकि रोक की अवधि से अब तक 1797 वाहन अगस्त माह तक जिले में पकड़े जा चुके हैं, जिनसे 11 करोड़ 44 लाख दो हजार 56 9 रुपए की वसूली की जा चुकी है। ये तो एक बानगी है। इससे अधिक वाहन जिले से बाहर निकलने के बाद अन्य जिलों में पकड़े गए हैं। वहीं जिले के थानों में करीब तीन करोड़ की बजरी के ढेर लगे हुए हैं।
खनिज विभाग के अभियंताओं के अनुसार पकड़े गए वाहनों में ट्रैक्टर से 25 हजार के अतिरिक्त प्रति टन 400 रुपए के हिसाब से जुर्माना वसूला जाता है। वहीं ट्रक, टे्रलर व डंपर से एक लाख रुपए के अतिरिक्त 400 रुपए प्रति टन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाता है।
वर्ष जब्त वाहन वसूली गई राशि
2017 8 6 48 19110
2018 1003 72123779
2019 708 374596 8 0
स्रोत- खनिज विभाग