scriptरोक के बावजूद कहां से आ रही हैं बजरी, धड़ल्ले से हो रहे हैं निर्माण कार्य | Illegal mining of gravel is happening despite the Supreme Court's ban | Patrika News

रोक के बावजूद कहां से आ रही हैं बजरी, धड़ल्ले से हो रहे हैं निर्माण कार्य

locationटोंकPublished: Feb 24, 2020 11:43:17 am

Submitted by:

pawan sharma

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में बजरी खनन पर रोक लगा रखी हैं। जिला प्रभारी मंत्री, उपमुख्यमंत्री व जिला प्रशासन अवैध खनन पर अंकुश का दावा करते हैं लेकिन उसके बाद भी निजी और सरकारी भवनों के निर्माण धड़ल्ले से चल रहे है।

रोक के बावजूद कहां से आ रही हैं बजरी, धड़ल्ले से हो रहे हैं निर्माण कार्य

रोक के बावजूद कहां से आ रही हैं बजरी, धड़ल्ले से हो रहे हैं निर्माण कार्य

पीपलू (रा.क.)। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में बजरी खनन पर रोक लगा रखी हैं। जिला प्रभारी मंत्री, उपमुख्यमंत्री व जिला प्रशासन अवैध खनन पर अंकुश का दावा करते हैं लेकिन उसके बाद भी निजी और सरकारी भवनों के निर्माण धड़ल्ले से चल रहे है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बजरी के बिना निर्माण कार्य सम्भव नहीं है।
ऐसे में सवाल यह उठता हैं बजरी आ कहां से रही है? सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए 16 नवंबर, 2017 से प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगा रखी है। उसके बावजूद धड़ल्ले से अवैध बजरी का खनन कर परिवहन व भंडारण किया जा रहा हैं।
जगह-जगह खातेदारी, गैर खातेदारी, चारागाह जमीनों पर अवैध बजरी के भंडारण हैं। जिन पर रोकथाम के दावे एसआईटी टीम हमेशा करती आई हैं लेकिन हकीकत यह हैं कि एसआईटी टीम के कारिंदें उनकी आंखों के सामने पड़े बजरी के ढ़ेरों को भी देखकर नजरअंदाज कर रही हैं।
एडीएम के सामने पड़े रहे बजरी के ढ़ेर
कस्बे के शिवालय के यहां चल रहे निर्माण कार्य के सीमाज्ञान के लिए शनिवार को एडीएम सुखराम खोखर, तहसीलदार सचिन यादव सहित तमाम राजस्व व पुलिस के आला अधिकारी पहुंचे। जिन्होंने केवल जमीन के सीमाज्ञान कर अपने काम की इतिश्री कर ली।
जबकि वहां सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद अवैध बजरी के ढ़ेर लगे हुए थे तथा निर्माण कार्य प्रगति पर था, लेकिन किसी का इस और कोई ध्यान नहीं गया। खास बात तो यह हैं कि उक्त स्थान से एक रास्ते पर पीपलू पुलिस थाना व दूसरी ओर डिप्टी ऑफिस करीब 50 मीटर की दूरी पर स्थित हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रोक के बाद भी अफसरों की नाक के नीचे आखिर बजरी आ कहां से रही है? सच यह है कि पुलिस अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मालामाल हो गए हैं। अधिकारियों ने बजरी खनन की आड़ में अपनी भागीदारी तय कर रखी है। इसके चलते जिले में अब तक बजरी वसुली मामले में 5 जनें एसीबी के हत्थे चढ़ चुके हैं। इसमें पीपलू पुलिस थाने के कांस्टेबल व उसके सहयोगी यहां थानाधिकारी रहे विजेंद्र गिल के राशि वसुलते हुए एसीबी के हत्थे चढ़े हैं।

न्यायिक आदेश बेअसर
जब कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक लगा दी है तो उसका उपयोग करने को वैध कैसे माना जा सकता है? इतना ही नहीं नाथड़ी में पीपलू के नवीन थाना भवन का भी इस दौरान निर्माण हो चुका हैं। जिसको अब केवल उद्घाटन का इंतजार हैं। रोक के बावजूद अब तक सैकड़ों सरकारी व निजी निर्माण खुले आम अवैध बजरी का उपयोग करते हुए हो गए हैं, लेकिन कागजी खानापूर्ति में गरीब किसानों के बजरी से भरे ट्रक्टरों को जब्त करने की औपचारिकता पूरी की जाती है।
बजरी माफियाओं को राजनीतिक और पुलिस का दो तरफ वरदहस्त मिलने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ये सुरक्षा कवच बिना मासिक बंदी के नही मिल सकता। अवैध खनन के शिकायत कर्ता की सूचना पर पुलिस का देरी से पहुंचना और माफियाओं की इसकी भनक लगना मिलीभगत के बिना सम्भव नही है।
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