दोनों का मुख्यालय उप वन संरक्षक कार्यालय टोंक किया गया है। उनकी क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन मामले में लापरवाही मानी। अभी भी मामले की जांच जारी है। अन्य अधिकारी-कर्मचारियों के भी मामले से जुड़े होने पर जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि रविवार को अवैध खनन के लिए की गई बलास्टिंग के दौरान खान ढहने से बालापुरा मीनान निवासी मनकेश पुत्र केसरा प्रजापत की मौत हो गई थी। मृतक के पिता केसरा ने अवैध खनन कराने वाले धारोला निवासी प्रेमराज मीणा और रामराज उर्फ पप्पू के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था।
क्षेत्रीय वन अधिकारी ने भी प्रेमराज व रामराज के खिलाफ अवैध खनन करने का मामला दर्ज कराया है। अवैध खनन की शिकायत के बाद उप वन सरंक्षक वी. चेतन कुमार ने मामले की जांच के आदेश दिए। इसके बाद सहायक वन पाल राजाराम तथा वन रक्षक बद्री भारी को निलम्बित कर दिया।
वन विभाग की अनदेखी के चलते जिले के पहाड़ों में अवैध खनन जारी है। इसी का उदाहरण है कि नगरफोर्ट थाना क्षेत्र के फुलेता गांव स्थित पहाड़ी के ढहने से एक श्रमिक की मौत हो गई। ऐसा ही हादसा १७ अप्रेल २००४ को टोंक में हुआ था। सदर वन नाका क्षेत्र टोंक के मलजी की डूंगरी में पहाड़ ढहने से ४ जनों की मौत हो गई थी।
वहीं एक ट्रक भी मलबे में दब गया था। प्रशासन ने मलबा हटाकर उन्हें बाहर निकाला था। इसके बाद क्षेत्रीय वन अधिकारी तथा एक वन पाल को निलम्बित किया गया था, लेकिन उसके बाद वन विभाग पहाड़ों में हो रहे अवैध खनन को भूल गया। ऐसे में फुलेता गांव में हादसा हुआ है। प्रशासन अनदेखी नहीं बरतता तो यह हादसा नहीं होता।