इसके लिए मछुआरे बिहार, बंगाल समेत कई राज्यों से मछली व्यापारियों ने बीसलपुर बांध के निचले इलाकों में बुलवाए हैं। मत्स्य विभाग की उदासीनता के चलते बांध के जलभराव क्षेत्र में मछली ठेके का मामला दो वर्ष से उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रही है।
वहीं दूसरी ओर बांध में मछली ठेका नहीं होने के कारण बांध में दिनोंदिन अवैध शिकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है। बांध का करीब पांच करोड़ का ठेका होता था। जो दो वर्ष में अब तक करीब 10 करोड़ से अधिक की राजस्व हानि हो चुकी है।
दो वर्ष से नहीं हुआ टेंडर
मत्स्य विकास अधिकारी राकेश देव ने बताया कि अप्रेल 2020-21 से बांध का मछली टेंडर नहीं हुआ है। उसके बाद अप्रेल 2021-22 अप्रेल 2022 -23 तक पूरे 2 वर्ष गुजर जाएंगे। इससे सरकार को करीब 10 करोड़ की राजस्व हानि हो चुकी है।
बीसलपुर बांध के जलभराव क्षेत्र में मछली का टेंडर नहीं होने के कारण मत्स्य विभाग की ओर से पिछले दो वर्ष से भरतपुर, टोंक, चित्तौडगढ़़, अलवर, बांसवाड़ा, जोधपुर मत्स्य विभाग के दस कर्मचारी बांध पर तैनात कर रखे हैं। संसाधनों में एक मोटर बोट व एक कार कार्मिकों के पास है।
बांध में दौड़ती अवैध नावों व शिकारियों की तादाद अधिक होने के कारण विभाग पर आए दिन हमले होते रहते हैं। बीसलपुर बांध के जलभराव क्षेत्र में 2018 को कार्मिकों पर जानलेवा हमला हुआ है, जिसकी रिपोर्ट विभाग की ओर से देवली थाने में दर्ज करवाई गई है।
इसी प्रकार 29 जुलाई 2021 को अवैध मछली परिवहन को लेकर भीलवाड़ा जिले के हनुमान नगर थाने में विभाग की ओर से रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।
गत 3 जनवरी को विभाग के मत्स्य अधिकारी के साथ हमले का प्रयास व जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने का मामला देवली थाने में विभाग की ओर से दर्ज करवाया जा चुका है। इसमें पुलिस की ओर से कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है। इधर विभाग की ओर से बीसलपुर बांध क्षेत्र में पिछले 2 सालों के दौरान 46 मामले बनाकर अवैध नाव व जाल आदि जब्त किए हैं।
घट रहा है पानी
इन दिनों मौसम साफ होने के साथ ही गर्मी बढऩे व दूसरी तरफ बीसलपुर बांध में इस बार पानी की मात्रा कम होने से शिकारी बांध के तट क्षेत्र के निकट आसानी से मछली जाले लगाकर मछलियों का का शिकार कर रहे हैं। कम पानी होने से शिकारियों के हाथ अधिक मछलियां लग रही है।
बीसलपुर बांध में बनास, खारी व डाई नदियों में बजरी की मात्रा होने के साथ ही शुद्ध व साफ पानी के कारण यहां की सांवल, बाम, कतला, लैची, रहु, ङ्क्षसघाड़ा, ग्रासकार, सिलोन, मुराखी, गेगरा आदि प्रजाति की मछलियां राज्य के अन्य बांधों व तालाबों की मछलियों से अधिक स्वादिष्ट व चमकीले रंग में होने के कारण दिल्ली, कोटा , जयपुर, अजमेर, सिल्लीकुड़ी आदि शहरों में मांग अधिक है।
मांग अधिक होने के साथ ही यहां मछली अन्य मछलियों से महंगी बिकती है। जिससे यहां अवैध शिकारियों की तादाद बढती जा रही है। इनका कहना है
बांध में अवैध मछली शिकार पर लगातार गश्त जारी है। बीसलपुर बांध पर कर्मचारी तैनात कर रखे हैं। फिर भी अगर ऐसा है तो गश्त बढ़ाकर कार्रवाई करेंगे।
- राकेश देव मत्स्य विकास अधिकारी टोंक