इनमें से असुविधाओं के चलते कुछ ईकाइयां ही चल रही है। औद्योगिक क्षेत्र में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। यहां मजदूरों के लिए पेयजल, सामुदायिक शौचालय, श्रमिकों के लिए केन्टीन, विश्राम भवन आदि का पूरी तरह से अभाव है। इसके नहीं होने से यहां कार्यरत श्रमिकों एवं औद्योगिक इकाई संचालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अतिरिक्त औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्रियों से निकले वाले गंदे पानी का समुचित निकास नहीं है। ना ही औद्योगिक क्षेत्र के नालों की कई वर्षों से साफ सफाई एवं उचित रख रखाव नहीं किया गया।
औद्योगिक क्षेत्र में जगह जगह नाले टूट हैं, जिससे इकाइयों के बाहर कीचड़ युक्त पानी सडांध मार रहा है। क्षेत्र में विभाग द्वारा वर्ष भर में दो बार ही सफाई करवाई जाती है। ऐसे में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं।
सफाई नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में बबूल के पेड़ उगे हुए है। विभाग द्वारा प्रतिवर्ष, सफाई, पानी, बिजली और रखरखाव के लिए साढ़े 5 रुपए प्रति मीटर के हिसाब से करोड़ों रुपए का राजस्व वसूलते हैं, लेकिन विभाग द्वारा औद्योगिक क्षेत्र में सफाई और पानी के नाम पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
जिससे मजबूरन फैक्ट्री संचालकों को टयूबवैल लगवाना पड़ रहा है। पानी के टेंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। रिको का पेयजल आपूर्ति केंद्र कई वर्षों से बंद पड़ा है, जबकि कुएं में पानी भी है।
पेयजल सप्लाई केंद्र पर मोटर या अन्य संसाधन पूरी तरह गायब है। रिको का पेयजल सप्लाई केंद्र खुले शौच जाने के काम आ रहा है। जिससे औद्योगिक क्षेत्र में चारों ओर गंदगी फैली हुई है। विभाग को कई मर्तबा वस्तुस्थिति से अवगत कराने के बाद भी इस क्षेत्र में आज तक कोई सुधार नहीं किया गया और उद्यमियों को अपने हाल पर रहने को विवश कर दिया।
झिलाय रोड का रिको क्षेत्र गंदगी व व टूटे नालों की वजह से बेहाल है। मजबूरी में श्रमिकों व संचालकों को आना पड़ता है। औद्योगिक क्षेत्र में रोड लाइट कभी जलती है तो कभी बंद रहती है। खराब होने जाने पर ठीक नहीं करवाया जाता है। रिको महकमा औद्योगिक क्षेत्र में काबिज उद्यमियों सें प्रतिवर्ष करीब साढे 5 रुपए प्रति मीटर के हिसाब से राजस्व वसूल कर रहा है, जबकि सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं दे रहा है।
इधर, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक कमल कुमार मीणा का कहना है कि झिलाय रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र प्रथम में व्याप्त सभी समस्याओं के शीघ्र निवारण के एक विशेष कार्य योजना बनाकर समाधान कर दिया जाएगा। एसं