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1918 में जागीरदार अब्दुल हफीज वली अहद ने रखी थी टोंक के पीपलू में अंतरराज्यीय पशु मेले की नींव

locationटोंकPublished: May 15, 2018 10:16:58 am

Submitted by:

pawan sharma

कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने इस मेले को राज्य स्तरीय पशु मेले की पहचान देने की घोषणा भी की थी, लेकिन आज हालात इसके उलट हैं।
 

Tonk Animal Fair

पीपलू अंतरराज्यीय की पशु मेले में बिकने पहुंचे गो-वंश व घोड़ा घोड़ी।

पीपलू. कस्बे में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला पशु मेला इस साल 101वें वर्ष पहुंच चुका है। पशु मेले में नाम मात्र के मवेशी बिकने पहुंच रहे हैं। मेले का विधिवत उद्घाटन मंगलवार सुबह दस बजे होगा। समारोह में अतिथि सरपंच प्रताप सिंह राजावत, जिला परिषद सदस्य सत्यनारायण चंदेल, रामजीवन मीणा, राजेश शर्मा व कस्बे के गणमान्य होंगे।
दो दशक तक मेले में पशुपालकों व पशुओं की काफी रौनक रहती थी, लेकिन अब ये संख्या कम होते-होते गिनती की रहने लगी है। धीरे-धीरे ऐसे हालात यही रहे तो कुछ वर्षों बाद यह मेला इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगा। इस वर्ष पशु मेले में मवेशियों के आने का सिलसिला तो शुरू हुआ है, लेकिन अब तक 8 00 बैल बछड़े आए हैं।
वहीं 90 ऊंट तथा 50 घोड़ा-घोड़ी ही बिकने पहुंचे हैं। इस पशु मेले ने 95 साल तक प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में अपनी पहचान कायम की थी। ऐसे में 1918 में जागीरदार अब्दुल हफीज वली अहद ने कस्बे में पशु मेले की शुरुआत विधिवत रूप से ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या को की थी। गत 28 मई 2014 को मेले के उद्घाटन में आए कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने इस मेले को राज्य स्तरीय पशु मेले की पहचान देने की घोषणा भी की थी, लेकिन आज हालात इसके उलट हैं।
ज्यूस व फलों के अपशिष्ट बन रहे आफत

देवली. भीषण गर्मी की राहत के साथ ही जहां गन्ने सहित अन्य फलों के ज्यूस लोगों को ठण्डक व राहत दे रहा है। वहीं इसके निकलने वाले अपशिष्ट शहर को गंदा कर रहा है। इससे मच्छरों की तादाद बढऩे के साथ शहर का सौन्दर्यकरण धूमिल हो रहा है, लेकिन स्वच्छता का ख्याल रखने वाली नगर पालिका का इस ओर ध्यान नहीं है। गौरतलब है कि इन दिनों तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया है। ऐसी भीषण गर्मी में ठंडे पेय पदार्थ व ज्यूस की बिक्री बढ़ गई। इनमें सर्वाधिक बिक्री गन्ने की ज्यूस की बढ़ी है। शहर में इन दिनों करीब एक दर्जन से अधिक गन्ने की दुकानें, फलों के ज्यूस की दुकान व दर्जनभर रेहडिय़ा घूम रही हंै, लेकिन ये विके्रता ज्यूस बेचने के साथ ही शहर की स्वच्छता छवि को धूमिल कर रहे हैं। उक्त विके्रता फलों का ज्यूस निकालने के बाद इसके अपशिष्ट, डिस्पोजल ग्लास आदि कचरा पात्रों में डालने के बजाय बाहर ही डाल रहे हैं। इससे उक्त कचरा पात्रों के समीप दिनभर मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। वहीं इससे मक्खी, मच्छरों की तादाद भी बढ़ रही है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि ज्यूस का अपशिष्ट खाने को लेकर मवेशी कई बार कचरा पात्र तक का उंडेल देते हंै। इससे मार्ग पर कचरा फैल जाता है। इससे जहां शहर की स्वच्छता छवि धूमिल हो रही है। वहीं शहरवासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। लोगों ने ऐसे ज्यूस विके्रताओं को अपशिष्ट कचरा पात्र में ही डालने के लिए पाबंद करने की मांग की।
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