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नौकरी लगी तो हुआ अफसोस: ललक ने सिखाया पढऩा-लिखना

locationटोंकPublished: Sep 08, 2023 08:08:55 pm

Submitted by:

pawan sharma

उच्च शिक्षा बेहतर है। लेकिन जीवन में इतना तो आना चाहिए कि पढ़ और लिखा जा सके। इसकी पीड़ा तब होती है जब कोई ताना मारे या किसी अन्य से पढय़ा जाए। इस पर अपने पढ़े-लिखे नहीं होने पर महज अफसोस ही हो सकता है।

 

नौकरी लगी तो हुआ अफसोस: ललक ने सिखाया पढऩा-लिखना
नौकरी लगी तो हुआ अफसोस: ललक ने सिखाया पढऩा-लिखना
टोंक. पढऩे की उम्र नहीं होती। लेकिन पढ़ाई के लिए मन में ठान लेना जरूरी है। अनपढ़ रहने का ऐसा ही मलाल था टोंक निवासी कमला को। कमला को भी पढ़ाई का अहसास तब हुआ जब उनके पति की मृत्यु के बाद उन्हें अनुकम्पा नौकरी मिली। पढ़ाई नहीं कर पाने की वजह से उन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी मिल पाई। ऑफिस में कार्य करते समय उन्हें पढ़ाई नहीं करने का मलाल हुआ।
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