वहीं सुरक्षा के अलावा डेढ़ साल में अभी तक एक कदम भी प्रशासन की ओर से यहां नहीं बढ़ाया गया है। ऐसे में ये स्थान आज भी वैसा ही जैसा धारा 144 लगाते समय छोड़ा गया था। फिर से सोने के सिक्के खोजे जाने की शिकायत पर मंगलवार को एसडीओ शंकरलाल सैनी व तहसीलदार हुकम सिंह ने
निरीक्षण किया।
साथ ही वहां तैनात आरएसी के जवानों से मामले की जानकारी ली। हालांकि तैनात जवानों ने ऐसे मामले की जानकारी से इनकार कर दिया। गौरतबल है कि 6 दिसम्बर 2016 को दबडिय़ा नाड़ी क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में प्रशासन ने धारा 144 लगा दी थी। इसके बाद इसकी सुरक्षा के लिए जवान तैनात कर दिए गए।
उमड़ी थी भीड़
नवम्बर 2016 में जानकीपुरा गांव में दबडिय़ा नाड़ी की पाळ पर सोने के सिक्के मिलने की सूचना मिली थी। इसके बाद इन सिक्कों को लेने के लिए आस-पास के गांवों के लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। करीब 15 दिन तक मेले सा माहौल रहा। लोग पहुंच गए और मिट्टी से सोने के सिक्के ढूंढने लगे थे।
गुप्त काल के हैं सिक्के पाळ पर मिले सिक्कों की जांच के लिए केन्द्रीय पुरातात्व विभाग को भेजा गया। इसमें पता चला कि ये सिक्के गुप्त काल के हैं। सम्भावनाएं जताई गई कि उन दिनों लोग पैदल या घोड़ों पर सफर करते थे। युद्ध, हमले के डर के चलते इन सिक्कों को पाळ पर दबा दिया गया।
या फिर ऐसा भी माना गया कि कोई खानाबदोश परिवार इन सिक्कों को यहां दबा गया और रोजगार की तलाश में किसी अन्य प्रांत में चला गया। सम्भवताया वे यहां नहीं लौट पाए, जो डेढ़ साल पहले निकले हैं। ये सिक्के आज टोंक पुलिस लाइन स्थित मालखाने में है।