कस्बे में लगभग 152 महिला-पुरुष 28 मार्च के बाद अन्य शहरों व राज्यों से यहां पहुंच चुके है, जिनमें भीलवाड़ा के लगभग 25 से अधिक लोग यहां आ चुके है, जिनके स्वास्थ्य की जांच तक नहीं की गई है। इन्हें शिक्षा विभाग के अध्यापकों व चिकित्साकर्मियों के सर्वे के दौरान चिन्हित किया जाकर होम आईसोलेसन किया गया है, लेकिन यह लोग अब भी गांव की दुकानों पर रसद के लिए लगने वाली भीड़ में शामिल हो रहे है।
ऐसे लोगों की जांचकर आगामी आदेशों तक वेलनेस सेन्टर में रखना है। प्रशासन की लापरवाही के कारण वेलनेस सेन्टर बने तीन दिन गुजर जाने के बाद भी जिला मजिस्ट्रेट के आदेशों की कोई पालना नहीं हो रही है। वहीं गांव में बाहरी लोगों के आने का सिलसिला जारी है। अब लोग टोडारायसिंह व टोंक से भी यहां पहुंचने लगे है, जो रिश्तेदारों व परिवारों के बीच रह रहे है।
गौरतलब है विद्यालय में बनाए गए वेलनेस सेन्टर का नोडल अधिकरी पीईईओ को बनाया गया है। वहीं सहायक अधिकारी के रूप में हल्का पटवारी व ग्राम विकास अधिकारी को नियुक्त किया गया है। इसी के साथ सेन्टर पर चोबिस घंटे बीट कांस्टेबल व चिकित्सा विभाग की टीम के साथ अध्यापकों को लगाया गया है।
जहां आदेश में सैनेटाइजेशन व अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी विकास अधिकारी पंचायत समिति देवली को दी गई है, लेकिन यहां चिकित्सा टीम व पुलिसकर्मी नहीं पहुंचे है। इसके बारे में अपनी-अपनी जिम्मेदारी को लेकर अधिकारी एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे है। वहीं बाहर से आने वाले लोग होम आईसोलेशन को छोड़ बाजार में लोगों को कोरोना वाइरस के संक्रमण की दहशत बांट रहे है।
इनका कहना है-
चिकित्सा टीम भिजवा दी जाएगी। पहले अध्यापक पुलिस को साथ लेकर बाहरी लोगों को समझाकर सेन्टर तक तो लाए।
अनिता खटीक, उपखण्ड अधिकारी देवली। कमरों की सफाई व धुलाई का कार्य करवाकर ड्यूटी पर तैनात है, लेकिन सेन्टर को अभी तक सैनेटाइज तक नहीं किया गया ओर ना ही यहां पुलिस व चिकित्सा टीम पहुंची है। अकेले अध्यापकों से बाहरी लोग यहां नहीं आते है।
सत्यनारायण गुप्ता नोडल अधिकारी कोराना वेलनेस सेन्टर राजमहल।
इनका कहना है-
ऐसा है तो अध्यापकों को पुलिस-प्रशासन को साथ लेकर बाहरी लोगों को कोरोना वेलनेस सेन्टर तक पहुंचाना चाहिए। लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
केके शर्मा, जिला कलक्टर टोंक।