वहीं दीपावली पर कुम्भकार भी आस लगाए बैठे हैं। दरअसल कोरोना महामारी के चलते व्यापारियों समेत कुम्भकारों को आर्थिक नुकसान हो चुका है। इस साल कुम्भकारों को आस है कि दीपावली पर उनके दीपक और अन्य मिट्टी के सामान घर में रौनक देंगे। इसी आस के साथ कुम्भकारों ने मिट्टी के सामान बनाने शुरू कर दिए हैं।
दूसरी तरफ दीपावली नजदीक आते ही कुम्भकारों के चाक घूमने लगे हैं। बड़ी संख्या में मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य शुरू हो गया है। दशहरा गुजर जाने के बाद अब लोगों ने दीपों से घर-आंगन को सजाने की तैयारी शुरू कर दी है।
बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीपक भी पसंद करने लगे हैं। हालांकि इस बार चाइनीज दीपक से मोहभंग के चलते मिट्टी के दीपक की मांग बढऩे की उम्मीद है। हालंाकि आधुनिकता के चलते कुम्भकारों के मिट्टी के सामान पर असर पड़ा है।
बढऩे लगा है मिट्टी के बर्तनों का चलन कुछ सालों में मिट्टी के सामान का चलन बढ़ गया है। पहले प्लास्टिक व अन्य सामान सस्ते व कम टूटने के चलते लोग इन्हें पसंद करते थे, लेकिन अब फिर से मिट्टी के सजावटी सामान की ओर लोगों ने रुख किया है। इसमें खिलौने, घर के सजावट के कई प्रकार के सामान शामिल है। इसके अलावा अब रसोई में भोजन बनाने के मिट्टी के बर्तन भी लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। इसमें तवा, भगोनी व सब्जी बनाने की मटकी लोग खरीद रहे हैं।
अनार भी काफी पसंद हैं
शहर में मिट्टी के बनने वाले अनार भी काफी पसंद किए जाते हैं। दरअसल मिट्टी के अनार में आतिशबाजी भरकर इनका प्रयोग दीपावली के दिन पटाखे के रूप में किया जाता है। यह भी रंगीन रोशनी के चलते काफी पसंद किए जाते हैं।