scriptआंगनबाड़ी केन्द्र ओडीएफ की खोल रहे पौल, महिला कार्मिकों को हो रही है परेशानी | Lack of toilets in Anganwadi centers | Patrika News

आंगनबाड़ी केन्द्र ओडीएफ की खोल रहे पौल, महिला कार्मिकों को हो रही है परेशानी

locationटोंकPublished: Jul 22, 2018 09:12:55 am

Submitted by:

pawan sharma

महिला एवं बालविकास विभाग जिले में चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
 

Clean India Mission

टोंक. जिले अधिकतर आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालयों का अभाव है। ऐसे मे विद्यार्थियों समेत आंगनबाड़ी कार्मिकों को समस्या से दो चार होना पड़ रहा है।

टोंक. जिले अधिकतर आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालयों का अभाव है। ऐसे मे विद्यार्थियों समेत आंगनबाड़ी कार्मिकों को समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। जबकि महिला एवं बालविकास विभाग जिले में चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
ऐसे में प्रशासन का ओडीएफ का दावा बेमानी साबित हो रहा है। अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहायिका व सहयोगिनियों को विभाग की ओर से जिम्मेदारी देते हुए अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया।
इसके बावजूद संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालयों का अभाव है। चौंकाने वाली बात यह है कि कुल 1486 आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों में से महज 219 में ही शौचालयों की सुविधा मौजूद है। जबकि अन्य भवन सुविधा विहीन है। ऐसे में प्रशासन का ओडीएफ का दावा महज कागजी साबित हो रहा है।
पाठशालाओं में तब्दील, फिर भी यह हाल
जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को पाठशाला में तब्दील किए जाने से इनमें 12 बजे तक कक्षाएं लगाई जा रही है। इन केन्द्रों में आ रहे नौनिहालों को नर्सरी की तर्ज पर विभिन्न गतिविधियां सिखाई जा रही है।
खास बात यह है कि इन केन्द्रों में आ रहे मासूम 3 से 6 वर्ष तक के हैं। इन्हें विभिन्न कालांशों के माध्यम से बाल्यावस्था शिक्षा दी जा रही है।

इसका उद्देश्य बालकों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सम्बन्धी आदतों को डालना, प्रभावी संवाद के माध्यम से आत्मविश्वास जगाना, रंगों की पहचान, वर्गीकरण, मिलान, संख्या ज्ञान समेत बौद्धिक विकास को बढ़ाना है। इसके अलावा बालक का शब्द भण्डार बढ़ाना, लिखने व पढऩे की तैयारी कराना भी शामिल है।
यह है नियम

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आबादी के अनुपात में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित किए जाने का प्रावधान है। इसके तहत 600 से 800 की आबादी के अनुपात में एक आंगनबाड़ी केन्द्र व 450 से 500 की आबादी रहने पर आंगनबाड़ी उपकेन्द्रों खोले जाते है।
आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता व सहायिक व सहयोगिनियां नियुक्त है। जबकि आंगनबाड़ी उपकेन्द्रों पर सहायिकाओं के पद सृजित है। ऐसे में दिन में सुविधा की आवश्यकता पडऩे पर समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।
आंगनबाड़ी केन्द्रों में महिला कार्मिकों के होने के बावजूद सुविधाओं का अभाव है। जबकि इनमें सुविधाओं का होना अत्यन्त जरूरी है।
पुष्पा जैन, जिलाध्यक्ष, भारतीय आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ(भामस) टोंक।

आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुविधाओं का अभाव है। गत दिनों इसकी सूची जिला कलक्टर व जिला परिषद सीईओ को भेजी गई है।
मंजू चौहान, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग टोंक।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो