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video: आखिर चार साल बाद हुआ स्वामी विवेकानन्द स्मारक व स्वाध्याय कक्ष का लोकार्पण

locationटोंकPublished: Jan 13, 2018 09:02:47 am

Submitted by:

pawan sharma

हायर सैकेन्ड्री स्कूल के पास स्वामी विवेकानन्द स्मारक व स्वाध्याय कक्ष का लोकार्पण हुआ

स्मारक का  लोकार्पण

हायर सैकेन्ड्री स्कूल के पास स्वामी विवेकानन्द स्मारक का लोकार्पण करते अतिथि।

टोंक. रेवासा पीठ (सीकर) के अग्र पीठाधीश्वर स्वामी डॉ. राघवाचार्य ने भारतीय संस्कृति को सर्वाेपरि बताते हुए कहा कि मानवता के मार्ग पर चलकर राष्ट्रविकास की सोच रखने वाला ही महापुरुष कहलाता है, यही कार्य स्वामी विवेकानद ने किया। ऐसे में युवा शक्ति को विवेकानन्द के आदर्शों को आत्मसात करना होगा।
उन्होंने यह बात शुक्रवार को भारत विकास परिषद की ओर से आयोजित स्वामी विवेकानन्द स्मारक व स्वाध्याय कक्ष के लोकार्पण समारोह में कही। संत राघवाचार्य ने कहा कि विश्व में भारत की साख बढ़ाने वाले स्वामी विवेकानन्द को अमेरिका में महज एक मिनट बोलने का मौका मिला था, लेकिन औजस्वी विचारों को सुनकर अन्य लोगों ने उन्हें बोलते रहने पर बल दिया।
उन्होंने विश्व को एक परिवार माना। संकीर्ण विचाराधारा से परे रहते हुए कभी उन्होंने यह नहीं कहा कि हिन्दू सुखिन: सर्वे। उन्होंने सर्वे: भवन्तु सुखिन: सर्वे, सर्वे: भवन्तु निरामया: पर बल देते हुए देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के स्वस्थ रहने की कामना की। भारत को महज भूखण्ड नहीं बताते हुए उन्होंने इसे पवित्र मातृभूमि बताया तथा विदेशों में देश के प्रति फैल रही भ्रान्तियों को दूर करने का कार्य किया।
उनका कहना था कि विभिन्न विचाराधारों का समागम रहने से ही देवताभी भारतभूमि में जन्म लेने को लालायित रहते हैं। पीठाधीश्वर राघवाचार्य ने भारत को आदर्श की मिसाल बताते हुए युवा शक्ति को विवेकानन्द के आदर्शों पर चलकर देश का सम्मान बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने मातृभूमि से प्यार करने वालों से कहा कि किसीभी को वन्देमातरम गाने पर ग्लानि नहीं होनी चाहिए। इससे पहले पीठाधीश्वर व अन्य अतिथियों ने स्वामी विवेकानन्द स्मारक व स्वाध्याय केन्द्र को लोकार्पण किया।

इसके बाद कलैण्डर व पोस्टर का भी विमोचन किया गया। छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इससे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से घंटाघर से विवेकानन्द सर्किल तक रैली निकाली गई।


संस्कारों की मिलें शिक्षा
भारत विकास परिषद के प्रान्तीय अध्यक्ष रूपसिंह ने कहा कि संस्कारविहीन शिक्षा से देश विकास के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता। ऐसे में विद्यालयों कोभी डिग्री के साथ-साथ संस्कारों की भी शिक्षा देनी चाहिए। उन्होंन कहा कि स्वामी विवेकानन्द एकाग्रता पर जोर देते थे, इससे आत्मबल बढ़ता है।
उन्होंने कॅरियर के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देते हुए युवाओं को स्वधर्म पर चलते हुए देशहित के कार्य करने को कहा। रूपसिंह ने कहा कि स्मार्टफोन हाथ में रखने से स्मार्ट नहीं बन जाते। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों को संस्कारों कीभी शिक्षा देनी होगी।

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