इनमें से अधिकतर तो बीसलपुर बांध परियोजना के अभियंताओं के साथ गश्त में रहते हैं। ये अभियंता जब मौके पर पहुंचते तब ही किसान दोहन से बाज आते हैं। उनके जाने के बाद फिर से ढर्रा वही हो जाता है। जबकि नहरी तंत्र का हर प्वाइंट सुरक्षा के घेरे में रहे तो पानी अंतिम छोर तक पहुंच पाए। ऐसा नहीं होने से प्रभावशाली किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर रहे हैं।
दोहन पर अंकुश नहीं
बीसलपुर बांध परियोजना ने पहले सफाई तथा मरम्मत कराई थी, लेकिन पानी छोडऩे पर उलट हालात नजर आ रहे है। अभियंता-कर्मचारी पानी दोहन पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। ऐसे में अंतिम छोर तक के किसानों तक पानी पहुंचाना बेमानी साबित हो रहा है। बीसलपुर बांध की दोनों नहरों में सिंचाई के लिए गत 4 नवम्बर को पानी छोड़ा गया है। सुरक्षा का अभाव होने से पानी सभी किसानों तक नहीं पहुंच रहा है।
यह है नहरों की स्थिति
बीसलपुर बांध की 51.64 किलोमीटर लम्बी दायीं मुख्य नहर से 218 गांवों की कुल 69 हजार 393 हैक्टेयर जमीन सिंचित की होती है। नहर से राजमहल, संथली, दूनी, सांखना, दाखिया, मुगलानी, नगरफोर्ट वितरिकाएं व टोंक ब्रांच शामिल हंै। इन वितरिकाओं की कुल लम्बाई 581 किलोमीटर है। बांध की बायीं मुख्य नहर 18.65 किलोमीटर लम्बी तथा कुल वितरण तंत्र 93.6 2 किलोमीटर लम्बा है। ये टोडारायसिंह क्षेत्र के 38 गांवों से गुजरती हुई 12 हजार 407 हैक्टेयर जमीन सिंचित करती है।
धीरे-धीरे पहुंचेगा पानी
परियोजना ने पुलिस से 20 जवान लिए हैं। ये उन स्थानों पर लगाए गए हैं, जहां ज्यादा परेशानी है। सभी किसानों तक धीरे-धीरे पानी पहुंच जाएगा।
आर. सी. कटारा, अधिशासी अभियंता बीसलपुर बांध
परियोजना वृत्त देवली
परियोजना ने पुलिस से 20 जवान लिए हैं। ये उन स्थानों पर लगाए गए हैं, जहां ज्यादा परेशानी है। सभी किसानों तक धीरे-धीरे पानी पहुंच जाएगा।
आर. सी. कटारा, अधिशासी अभियंता बीसलपुर बांध
परियोजना वृत्त देवली