नसबंदी में पुरुष फिसड्डी
मानसिकता आ रही आड़े

टोंक. राज्य सरकार की ओर जन संख्या नियंत्रण के लिए चलाया जा रहा परिवार कल्याण अभियान पर पुरुष मानसिकता हावी हो रही है। इसके चलते पुरुष नसबंदी की संख्या सत्र समाप्ति में मात्र एक माह शेष रहने तक दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंच पाया है।
जानकारी अनुसार सत्र २०१९-२० में परिवार कल्याण विभाग को जिले में ६६०० नसबंदी का लक्ष्य दिया गया था। इसमें औसतन दस प्रतिशत लक्ष्य पुरुष नसबंदी का माना जाता है। विभाग की ओर से विगत माह में लक्ष्य अर्जित करने के लिए सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में परिवार कल्याण शिविर भी आयोजित किए गए है। इसके बावजूद भी ७५ प्रतिशत लक्ष्य हासिल हो पाया है। कुल लक्ष्य में अभी तक ५००७ महिलाओं की नसबंदी हो पाई है।
सात ब्लॉक में मात्र चार पुरुष नसबंदी
सरकार एवं विभाग द्वारा अनेक जागरुकता अभियान चलाए जाने के बाद भी अभी तक पुरुषों में नसबंदी के प्रति सोच में बदलाव नहीं आ पाया है। जिले में सत्र के दौरान मात्र चार पुरुषों ने नसबंदी में रुचि दिखाई है। इनमें से तीन टोंक ग्रामीण व एक टोंक शहर क्षेत्र की है। वहीं मालपुरा, टोडारायसिंह, उनियारा, देवली व निवाई ब्लॉक में अभी तक एक भी पुरुष नसबंदी नहीं हुई है। जबकि सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए चिकित्सा, आयुर्वेद, आशा सहयोगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, राजस्व, शिक्षा विभाग का सहयोग लिया हुआ है। वहीं सत्र २०१८-१९ में मात्र आठ पुरुषों ने नसबंदी करवाई थीा।
साल दर साल घटा लक्ष्य
सरकार की ओर से अन्य सभी विभाग में जागरूकता लाए जाकर लक्ष्य बढ़ाए जाते है, लेकिन परिवार कल्याण कल्याण विभाग में इसके उलट लक्ष्य ही घटाए जा रहे है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार २०१५-१६ में ९४११, २०१६-१७ में ८०८९, २०१७-१८ में६८०३ एवं २०१८-१९ में ६४८० लक्ष्य रखा गया था। जबकि २०११-१२ में १४२१७ व २०१२-१३ में १४४२३ लक्ष्य दिया जा चुका है।
विभाग ने प्रचार-प्रसार के लिए आईसी कॉर्डिनेटर नियुक्त किया हुआ है। जागरुकता के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। पुरुषों की मानसिकता नहीं बदल पा रही है, जबकि नसबंदी ऑपरेशन में महिला-पुरुष के शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। अभी एक माह शेष है। लक्ष्य अर्जित कर लिया जाएगा।
डॉ. एसएस अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, टोंक
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