शहर के लोग दुकान के बाहर खड़े रहकर भी कचौरी खाने का आनन्द लेते है। शहर के लोग सुबह दुकान खुलने के साथ ही कचौरी बनने का इंतजार करते है। माणक चंद हलवाई का कहना है कि कचौरी, चटनी और नमकीन के लिए तेल व मसालों की गुणवत्ता पर लगातार ध्यान दिया जाता, जिससे कचौरी व चटनी का स्वाद 48 वर्षो से वैसा बरकरार है।
निवाई शहर के लोग जो बाहर रहते है, वह निवाई आने पर कचौरी अवश्य खाते है तथा साथ लेकर भी जाते है। माणक चंद हलवाई ने बताया कि प्रतिदिन करीब एक हजार से अधिक कचौरी बिक जाती है। कचौरी में साबूत काली मिर्च और चटपटेदार मसाला हर किसी की जुबान पर है। उन्होंने बताया किउनकी तीसरी पीढ़ी कचौरी बनाने का कार्य कर रही है।