उनमें निर्माण की शर्तों का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जबकि मास्टर प्लान के तहत निर्माण हो तो शहर की खूबसूरती बढ़ जाए, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के चलते ऐसा नहीं हो रहा है। वहीं शहर में अतिक्रमण की भी भरमार है। यहां तक की तालाब व नाडिय़ों पर भी अतिक्रमण कर निर्माण किए जा रहे हैं। शहर निवासी मोइनुउल्लाह ने बताया कि शहर में पानी निकास, तालाब व नाड़ी पर किसी प्रकार से निर्माण नहीं किया जा सकता,
लेकिन शहर में रेडियावास, ताल कटोरा, गादोलाई, अन्नपूर्णा तथा हाइवे किनारे के तालाब व मोतीबाग क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया गया। वहीं इनमें रास्ते तक बना लिए गए। पानी निकास के नाले भी अतिक्रमण की चपेट में है। निर्माण के समय सूचना के बावजूद नगर परिषद की कार्रवाई नहीं होती। इससे ऐसे निर्माण हो रहे हैं। वहीं भवन निर्माण के समय कई नियमों की पालना करनी होती है। शहर की कॉलोनियों में 400 वर्ग गज से अधिक के भूखण्ड के निर्माण पर नगर परिषद और सार्वजनिक निर्माण विभाग से अनुमति लेनी होती है।
गिरने का बना रहता है खतरा निर्माण में नियमों की पालना जरूरी है। नियमों की पालना के तहत बनने वाला मकान भूकम्प को सहने वाला व वाटर हार्वेस्टिंग नियम के तहत बनता है। इससे गिने का खतरा नहीं रहता है। इधर, मामले में नगर परिषद के नगर नियोजक विभाग के एटीपी अनुराग मिश्रा से बात करनी चाही, लेकिन उन्होंने फोन रीसिव नहीं किया।