ताकि सरकार को राजस्व मिल सके। इसके लिए खनिज विभाग को आदेश दिए गए हैं। अब खनिज विभाग वन विभाग के साथ मिलकर लीज देने की तैयारी करेगी। दरअसल प्रदेश में अवैध खनन की रोकथाम के लिए गठित राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गत महीने में हुई थी।
इसमें निर्देश दिए गए थे कि वन क्षेत्र में जहां पेड़ नहीं हो या नगण्य हो। साथ ही मौके पर वनस्पती भी ना के बराबर हो। वहीं अवैध खनन भी हो और उस पर वन विभाग अंकुश नहीं लगा पा रहा हो उन्हें चिह्नित किया जाए।
इन्हें डायवर्जन की शर्त के साथ खनन पट्टा आवंटन के लिए ई-निलामी की कार्यवाही की जाए। ताकि अवैध खनन रुके और खनन नियमानुसार हो। इससे सरकार को राजस्व भी मिले। आदेश के अनुसार प्रपत्र में विभाग को जिला, तहसील वन क्षेत्र, खनिज, उपलब्ध खनिज वन क्षेत्र का अनुमानित क्षेत्रफल हैक्टेयर में देना होगा। इसके बाद लीज की कार्यवाही होगी। खनिज विभाग के फोरमैन सोमाराम ने बताया कि आदेश मिले हैं और वन विभाग के साथ तैयारी की जाएगी।
नहीं रुक पा रहे पत्थर भरे वाहन
शहर में वन विभाग की लाख कोशिशें के बावजूद अवैध पत्थर खनन पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। शहर में अलसुबह व देर रात ही पत्थर भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली दौड़ते रहते हैं। यही हाल निवाई, उनियारा, देवली व टोडारायसिंह क्षेत्र स्थित वन क्षेत्र का है। जिला मुख्यालय स्थित पुरानी टोंक में तो कई पहाड़ों पर बेतहाशा खनन किया जा चुका है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
सरकार को मिलेगा राजस्व
शहर की पहाडिय़ों पर रातभर अवैध खनन होता है। वन विभाग गाहे-बगाहे ही कार्रवाई कर पाता है। ऐसे में पत्थर खनन की लीज दे दी जाएगी तो लीजधारक नियमानुसार खनन करेगा। इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा।