script15 घरों की ढाणी में 11 ने किया दुश्मनों से मुकाबला, 400 मीटर सडक़ के लिए हो रहे पस्त | Mud filled with the path of subedars | Patrika News

15 घरों की ढाणी में 11 ने किया दुश्मनों से मुकाबला, 400 मीटर सडक़ के लिए हो रहे पस्त

locationटोंकPublished: Aug 16, 2019 07:38:47 pm

Submitted by:

Vijay

ढाणी में 11 सूबेदारों सहित इनके रिश्तेदारों के परिवारों ने देश के लिए अपनी जान लड़ाने के बावजूद किसी ने उनकी ढाणी की सुध नहीं ली है। बारिश में तो लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

mud-filled-with-the-path-of-subedars

15 घरों की ढाणी में 11 ने किया दुश्मनों से मुकाबला, 400 मीटर सडक़ के लिए हो रहे पस्त

आवां- क्षेत्र की चांदसिंहपुरा पंचायत के सूबेदारों की ढाणी आजादी के 72 वर्ष पूरे होने के बावजूद आवां-दूनी मार्ग से महज 400 मीटर दूरी की सडक़ नहीं बनने से इनके मासूम भी कीचड़ का सफर तय करने को मजबूर हो रहे हैं। दुखद: पहलु यह भी है कि इस ढाणी के प्राथमिक विद्यालय में पढऩे वाले इन नौनिहालों के नन्हे पांव कीचड़ से मलीन होने के साथ विलायती बंबूलो से जख्मी हो रहे हैं।
फौजी भीमराज, रामकिशन, ताराचन्द, देशराज और रामरतन गुर्जर ने बताया कि कई बार इन्हें गोद में उठाकर पार कराना पड़ता है। अजय सिंह, कुलदीप, देवराज, भागीरथ, कोमल और मासूम कृष्णा गुर्जर के अनुसार थोड़ी से बारिश मे ही इस राह में पानी भरने के आवागमन बाधित हो जाता है।
इससे वो कई बार फिसल कर चोटिल भी होते आए हंै। सडक़ बनाने का हर बार आश्वासन ही मिला है। ब्रह्मानन्द गुर्जर, बृजमोहन ,चौथमल, रामजस और रामगोपाल गुर्जर ने पीड़ा उजागर करते हुए सरकार से मांग की है कि लगभग आधा किलोमीटर की इस सडक़ को डामरीकृत कर लोगों को राहत प्रदान की जाए।

देश भक्ति की बने है, मिशाल
रिटायर सूबेदार रामकिशन गुर्जर ने बताया कि देश पे्रम उनके रक्त के कण-कण में समाया है। ढाणी में सर्वप्रथम गिरधारी लाल गुर्जर ने सेना में कैप्टन बन देश सेवा की बुनियाद डाली। इनके बाद केसर लाल, ईश्वर लाल, सुखलाल, युवराज, प्रेम लाल, रामरतन, ताराचन्द, भीमराज और देशराज ने देश के लिए कई जंग लड़ी।
रिटायर फौजी भीमराज ने बताया कि 15 मकानों की इस ढाणी में 11 सूबेदार और हवालदारों ने देश के लिए अपनी जान लड़ाई है। खलने वाली बात यह है कि पर्याप्त साधन, संसाधन और सुविधाएं नहीं होने से भावी पीढ़ी का लाख जतन करने के बावजूद फौज में चयन नहीं हो पा रहा है। सडक़ नहीं होने से नन्हें मासूमों की पढ़ाई में भी व्यवधान आ रहा है।

सरकार से मिला सम्मान
दूनी निवासी इन सूबेदारों की बहादुरी से प्रभावित होकर तत्कालीन सरकार ने इन्हें पुरस्कृत करते हुए सूबेदारों की ढाणी में कृषि भूमि आवंटित की, जिससे यह यहीं रहकर गुजर-बसर करने लगे। दूनी के विद्यालय के लिए इन्होंने जमीन दी। यही नहीं इस परिवार ने सूबेदारों की ढाणी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के लिए भी अपनी भूमि दान में दी है।
शिक्षक बद्री लाल माली के अनुसार वर्तमान में 8 0 जनसंख्या वाली इस ढाणी के 15 मकानों में रहने वाले 25 परिवारों के 18 विद्यार्थी एकल शिक्षक के भरोसे इस शाला में अध्ययन कर रहे हैं। ढाणी में 11 सूबेदारों सहित इनके रिश्तेदारों के परिवारों ने देश के लिए कुरबानियों के बावजूद किसी ने उनकी ढाणी की सुध नहीं ली है। बारिश में तो लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो