फौजी भीमराज, रामकिशन, ताराचन्द, देशराज और रामरतन गुर्जर ने बताया कि कई बार इन्हें गोद में उठाकर पार कराना पड़ता है। अजय सिंह, कुलदीप, देवराज, भागीरथ, कोमल और मासूम कृष्णा गुर्जर के अनुसार थोड़ी से बारिश मे ही इस राह में पानी भरने के आवागमन बाधित हो जाता है।
इससे वो कई बार फिसल कर चोटिल भी होते आए हंै। सडक़ बनाने का हर बार आश्वासन ही मिला है। ब्रह्मानन्द गुर्जर, बृजमोहन ,चौथमल, रामजस और रामगोपाल गुर्जर ने पीड़ा उजागर करते हुए सरकार से मांग की है कि लगभग आधा किलोमीटर की इस सडक़ को डामरीकृत कर लोगों को राहत प्रदान की जाए।
देश भक्ति की बने है, मिशाल
रिटायर सूबेदार रामकिशन गुर्जर ने बताया कि देश पे्रम उनके रक्त के कण-कण में समाया है। ढाणी में सर्वप्रथम गिरधारी लाल गुर्जर ने सेना में कैप्टन बन देश सेवा की बुनियाद डाली। इनके बाद केसर लाल, ईश्वर लाल, सुखलाल, युवराज, प्रेम लाल, रामरतन, ताराचन्द, भीमराज और देशराज ने देश के लिए कई जंग लड़ी।
रिटायर फौजी भीमराज ने बताया कि 15 मकानों की इस ढाणी में 11 सूबेदार और हवालदारों ने देश के लिए अपनी जान लड़ाई है। खलने वाली बात यह है कि पर्याप्त साधन, संसाधन और सुविधाएं नहीं होने से भावी पीढ़ी का लाख जतन करने के बावजूद फौज में चयन नहीं हो पा रहा है। सडक़ नहीं होने से नन्हें मासूमों की पढ़ाई में भी व्यवधान आ रहा है।
सरकार से मिला सम्मान
दूनी निवासी इन सूबेदारों की बहादुरी से प्रभावित होकर तत्कालीन सरकार ने इन्हें पुरस्कृत करते हुए सूबेदारों की ढाणी में कृषि भूमि आवंटित की, जिससे यह यहीं रहकर गुजर-बसर करने लगे। दूनी के विद्यालय के लिए इन्होंने जमीन दी। यही नहीं इस परिवार ने सूबेदारों की ढाणी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के लिए भी अपनी भूमि दान में दी है।
शिक्षक बद्री लाल माली के अनुसार वर्तमान में 8 0 जनसंख्या वाली इस ढाणी के 15 मकानों में रहने वाले 25 परिवारों के 18 विद्यार्थी एकल शिक्षक के भरोसे इस शाला में अध्ययन कर रहे हैं। ढाणी में 11 सूबेदारों सहित इनके रिश्तेदारों के परिवारों ने देश के लिए कुरबानियों के बावजूद किसी ने उनकी ढाणी की सुध नहीं ली है। बारिश में तो लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।