scriptटेराकोटा से रोजगार के साथ शहरों में निराज ने बनाई पहचान | Niraj made an identity in cities with employment from terracotta | Patrika News

टेराकोटा से रोजगार के साथ शहरों में निराज ने बनाई पहचान

locationटोंकPublished: Nov 27, 2021 08:50:09 pm

Submitted by:

jalaluddin khan

एक दर्जन महिलाओं व युवतियों को दे रही प्रशिक्षणपचेवर. इंसान में कुछ करने का जुनून हो तो वह कुछ भी कर सकता है। इंसान की लगन ही उसे बुलंदियों पर पहुंचाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पचेवर कस्बा निवासी निराज देवी कुम्हार ने, जो मिट्टी की कलाकृतियों से गांवों केे साथ शहरों में भी पहचान बना रही है।

टेराकोटा से रोजगार के साथ शहरों में निराज ने बनाई पहचान

टेराकोटा से रोजगार के साथ शहरों में निराज ने बनाई पहचान

टेराकोटा से रोजगार के साथ शहरों में निराज ने बनाई पहचान
एक दर्जन महिलाओं व युवतियों को दे रही प्रशिक्षण
पचेवर. इंसान में कुछ करने का जुनून हो तो वह कुछ भी कर सकता है। इंसान की लगन ही उसे बुलंदियों पर पहुंचाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पचेवर कस्बा निवासी निराज देवी कुम्हार ने, जो मिट्टी की कलाकृतियों से गांवों केे साथ शहरों में भी पहचान बना रही है।

यहां पर मिट्टी से बनी भगवान की मूर्तियां, खिलौने, घरेलू बर्तन व अन्य सजावटी सामान की कलाकृतियां शहरों में राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट टेराकोटा के नाम से महशूर है। टेराकोटा कला राजस्थान की प्रसिद्ध हस्तकलाओं में से एक है।
निराज ने बताया टेराकोटा ने देश और विदेश में लोगों के ड्राइंग रूम समेत होटलों में अपनी एक अलग जगह बना ली है। लाल गेरुआ रंग के मिट्टी के सजावट के खूबसूरत सामान में अगर रंग-बिरंगे रंग के साथ जरी,गोटे और मोतियों से सजा दिया जाए तो मानो इन मूर्तियों में जान ही आ जाती है। टेराकोटा की कलाकार निराज देवी अपने घरेलू के दैनिक कार्य से निवृत होकर दिनभर अपने टेराकोटा के कार्य में जुट जाती है।

पति से सीखा हुनर
राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट टेराकोटा की मशहूर कलाकार निराज देवी ने बताया कि उसके पति मोहन लाल कुम्हार भी टेराकोटा के मशहूर कलाकार है। उनसे ही राजस्थानी हेंडीक्राफ्ट टेराकोटा का कार्य सीखा है।
मिट्टी से पानी की मटकियां व दीपक बनाने के साथ अब टेराकोटा की विभिन्न कलाकृतियां सीख ली है। उन्होने बताया कि मिट्टी को विभिन्न कलाकृतियों का रूप देकर रसोई में काम आने वाले अनेकों प्रकार के बर्तन बनाए जाते है। उनके पास रोजाना एक दर्जन से भी अधिक महिलाओं के साथ युवतियां टेराकोटा का प्रशिक्षण लेने आती है।

विभिन्न राज्यों में है मांग
टेराकोटा की इन कलाकृतियों को देखकर विदेशी सेलानी भी आकर्षित हो जाते है।उन्होंने बताया कि मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां का सामान राजस्थान के साथ बेंग्लूर, कर्नाटक, चेन्नई व दिल्ली के हाट बाजार में राजस्थानी टेराकोटा के नाम से बिकता है।विभिन्न राज्यों में लगने वाले मेलों में भी इनकी खूब बिक्री होती है।ए.स.
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