करीब 20 वर्ष पहले तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन के कार्यकाल में निर्मित शिवाजी पार्क जिले में मुख्य पार्को में शुमार था, जो निवाई की पहचान बन गया था, लेकिन अब नगरपालिका की उदासीनता के चलते अपना अस्तित्व बचाने में नाकाम साबित हो रहा है।
शिवाजी पार्क कभी जिले भर से सैलानी एवं स्कूल के छात्र-छात्राएं व शहर में आने वाले मेहमानों के लिए आकर्षण को केन्द्र बना हुआ था। शाम के समय पार्क के बाहर स्टॉलें लगती थी। पार्क में फिल्मी गानों की मधुर धुनें सुनाई देती थी। लोग खिलौने बेचते थे।
इससे बालकों का मनोरंजन होता था। जहां अब दिन ढलते ही सुनसान होने से सन्नाटा छाया रहता है। पार्क में रंग बिरंगी लाइटें, रंगीन फव्वारे, झूले, झरने, स्विमिंग पूल एवं म्यूजिक सिस्टम चलने से लोगों का दिल बाग-बाग हो जाता था, जो अब सब बंद पड़े हंै।
यहां शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है। कभी यहां लगी लाइटों से दूर से ही शिवजी पार्क की पहचान होती थी। अब लोग सुबह के समय मॉर्निंग वाक करने आते हैं। इसके अलावा दिनभर व शाम को पार्क में सन्नाटा छाया रहता है।
गड्ढों से लोगों को परेशानी:
झिलाय (निवाई). ग्राम पंचायत के वार्ड 8 में सिंदरा दरवाजा स्थित प्राचीन बालाजी के मंदिर के सामने व निवाई दरवाजा के सामने बीसलपुर परियोजना के कर्मचारियों व जलदाय विभाग की ओर से पाइप लाइनें डालने का कार्य एक पखवाड़े पूर्व किया गया था।
पाइप लाइनें तो डाल दी गई, लेकिन गहरे गड्ढों को भरकर उनकी मरम्मत नहीं करने से राहगीरों एवं मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चौथमल माहुर व जगदीश प्रसाद गुनाडिय़ा ने बताया कि बीसलपुर परियोजना व जलदाय विभाग के कर्मचारियों की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायत की मुख्य सडक़ों को छलनी कर दिया गया और मरम्मत के नाम पर महज
हल्की मिट्टी भरकर कार्य की इतिश्री कर ली।