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न्यायालय ने प्रमुख सचिव, निदेशक तथा समाज कल्याण अधिकारी को किया नोटिस जारी

locationटोंकPublished: Dec 08, 2019 04:02:34 pm

Submitted by:

pawan sharma

राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने राज्य के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक तथा टोंक के समाज कल्याण अधिकारी को नोटिस जारी किया है।

न्यायालय ने प्रमुख सचिव, निदेशक तथा समाज कल्याण अधिकारी को किया नोटिस जारी

न्यायालय ने प्रमुख सचिव, निदेशक तथा समाज कल्याण अधिकारी को किया नोटिस जारी

टोंक. राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने शुक्रवार को सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग में 27 वर्ष मानदेय सेवा पर कार्य कर रहे कुक की सेवाएं नियमित नहीं करने के मामले में राज्य के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक तथा टोंक के समाज कल्याण अधिकारी को नोटिस जारी किया है।
उनसे चार सप्ताह में जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश टोडारायसिंह के समाज कल्याण विभाग के छात्रावास में जनवरी 1992 से निश्चित मानदेय पर कुक के पद पर कार्य कर रहे कैलाश चन्द्र सैन की ओर से एडवोकेट लक्ष्मीकान्त शर्मा के जरिए दायर की गई याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए हैं।
याचिका में बताया कि कैलाश जनवरी 1992 से छात्रावास में कुक और चौकीदार के पद पर काम कर रहा है। कैलाश ने विभाग को कई बार प्रार्थना पत्र देकर नियमित किए जाने तथा नियमित वेतनमान दिए जाने के लिए गुहार की, लेकिन विभाग की ओर से उसकी अब तक सेवाएं नियमित नहीं की। इसे याचिका में चुनौती दी गई है।
चयन बोर्ड सचिव को नोटिस
टोंक. राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने पीटीआई भर्ती-2018 में अभ्यर्थी को खेल के अंक नहीं देने के मामले में राज्य के प्रमुख शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक तथा राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश पारली निवासी पंकज भारद्वाज की ओर से एडवोकेट लक्ष्मीकान्त शर्मा के जरिए दायर की गई याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए दिए हैं।

याचिका में है कि राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड ने 4 मई 2018 को शारीरिक शिक्षक के 4500 पदों की भर्ती विज्ञप्ति जारी कर आवेदन मांगे थे। इसमें याचिकाकर्ता ने आवेदन किया था। चयन बोर्ड की ओर से जारी किए गए प्रथम परीक्षा परिणाम में खेल के अंक जोड़ते हुए परिणाम जारी किया, लेकिन संशोधित परिणाम में याचिकाकर्ता को खेल के 16 अंक नहीं दिए। ऐसे में वह चयन से वंचित हो गया।
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