ऐसे में वे नगर परिषद के सभी वार्डों को ओडीएफ कराने में जुट गए थे। नतीजन उन्हें सभी वार्डों को ओडीएफ भी कराया। साथ ही प्रदेश में शौचालय निर्माण के लिए नगर परिषद की ओर से राशि जारी कर पहल भी की।
जारी की अलग से राशि
शौचालय निर्माण के लिए सरकार की ओर से 12 हजार रुपए दिए जाते हैं, लेकिन निर्माण पर 16 हजार रुपए खर्च होते हैं। गत वर्ष तक ये राशि दी गई, लेकिन शौचालय पूरे नहीं बन पाए। ऐसे में नगर परिषद को रैंक में पिछडऩा पड़ा।
इससे ऊपर उठने के लिए नगर परिषद ने 12 हजार तथा शेष 4 हजार रुपए की राशि भी स्वयं की ओर से खर्च करने की योजना बनाई। इसके तहत नगर परिषद ने पूरी राशि देकर शौचालय का निर्माण पूर्ण कराया।
घर-घर में बांटे कचरा-पात्र
घर से निकलने वाले कचरे को सडक़ किनारे पर नहीं डाले जाने के लिए नगर परिषद ने कचरा-पात्रों का वितरण भी किया है। इसमें हर घर को दो कचरा-पात्र दिए गए हैं। इनमें एक में सूखा तथा दूसरे कचरा-पात्र में गीला कचरा डाला जा रहा है।
ये था पिछला कारण
शहर में नगर परिषद विहीन 9 हजार मकानों में शौचालय का समय पर निर्माण नहीं करा पाई। इसके चलते क्वालिटी कंट्रोल काउसिंल ऑफ इंडिया सर्वे में टोंक शहर वर्ष 2014 में जहां देश में 320 वां स्थान रहा था, वो गत वर्ष 329वें स्थान पर पहुंच गया था।
इस साल सर्वे 4 से 10 जनवरी तक होगा। शौचालय निर्माण के लिए नगर परिषद के पास 9 हजार का लक्ष्य था। नगर परिषद ने इसकी स्वीकृति भी जारी कर दी। ये निर्माण अब पूरा हुआ है। अब नगर परिषद ने लक्ष्य पूरा कर सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी कराया है। इसमें नगर परिषद ने 7 पहले तथा 11 सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया है।
पिछले साल हम काफी पिछड़े थे, लेकिन दावा करते हैं कि हम इस बार ऊपर की रैंक पर रहेंगे। सर्वे 4 जनवरी से शुरू होगा। नगर परिषद इसके लिए तैयार है।
धर्मपालसिंह चौधरी, आयुक्त नगर परिषद, टोंक