पुरानी टोंक कोई सीमित इलाका नही है इसका क्षेत्र काफी बड़ा है। पुरानी टोंक के मुख्य छोटा बाजार काफी सकड़ा होने के कारण लोगों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नही यदि कोई चौपहिया वाहन फंसे जाए तो घण्टों तक आवागमन बाधित हो जाता है जिस कारण पैदल राहगीर भी आसानी से निकल ही नही सकता। ऐसे हालातों में पुरानी टोंक परकोटनुमा इलाके के लिए अब यातायात की दृष्टि से नए रास्ते तलाशने होंगे। जिसके लिए मालपुरा दरवाजा व श्रीरामद्वरा के समीप के रास्ते को विकसित करना होगा ताकि पुरानी टोंक क्षेत्र के लोगों को सीधे ही बहीर श्मशान व बहीर कॉलेज के लिए मार्ग निकल जाए।
-अवैध खनन बिगाड़ रहा कानून-व्यव्स्था
पुरानी टोंक क्षेत्र में प्रतिबंध होने के बाद भी अरावली की पहाडियों में अवैध पत्थर खनन जारी है। खनन माफियाओं द्वारा किए गए अंधाधुध खनन के कारण यहां की विशाल पहाडिय़ा जमीदोज हो चुकी है। इलाके के लिए सबसे बड़ी समस्या शांति व कानून की दृष्टि से नासूर बन रही अवैध पत्थर खनन भी है।
पुरानी टोंक क्षेत्र में प्रतिबंध होने के बाद भी अरावली की पहाडियों में अवैध पत्थर खनन जारी है। खनन माफियाओं द्वारा किए गए अंधाधुध खनन के कारण यहां की विशाल पहाडिय़ा जमीदोज हो चुकी है। इलाके के लिए सबसे बड़ी समस्या शांति व कानून की दृष्टि से नासूर बन रही अवैध पत्थर खनन भी है।
जिस कारण तडक़े ही अवैध पत्थर से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलिया बेशुमार निकलती है जिससे आए दिन सडक़ हादसों की सम्भवना बनी रहती है। वही अवैध खनन को लेकर होने वाले आपसी विवाद भी कानून व्यवस्था के लिए मुसीबत बन जाते है। इसी प्रकार क्षेत्र में हजारों बीघा वन भूमी पर भू-माफियों ने अतिक्रमण कर लिया है। यदि अवैध तरीके से हो रहे पत्थर खनन पर रोक लग जाए तो निश्चित ही बिगड़ती कानून व यातायात की व्यवस्था काफी हद तक सुधर सकती है।
-सिर्फ परामर्श जांच के लिए सआदत अस्पताल
पुरानी टोंक में वैसे तो चिकित्सा की दृष्टि से पुरानी टोंक डिस्पेंसरी है लेकिन वहां न तो जांचों की सुविधा है न ही कोई मरीज भर्ती की । ऐसे हालातों में राजकीय सआदत अस्पताल टोंक में मरीजों का दबाव होने से डॉक्टर्स को दिखाने व जांचों के लिए लंबी कतार लगी रहती है। यदि पुरानी टोंक की डिस्पेंसरी को मेन पावर सहित सुविधामय बना दिया जाए तो सआदत अस्पताल में मरीजों का दबाव भी कम हो जाएगा साथ ही पुरानी टोंक के लोगों को समीप ही चिकित्सा की सुविधा भी मिल जाएगी। इतना ही नही पुरानी टोंक क्षेत्र के लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकेगा।
पुरानी टोंक में वैसे तो चिकित्सा की दृष्टि से पुरानी टोंक डिस्पेंसरी है लेकिन वहां न तो जांचों की सुविधा है न ही कोई मरीज भर्ती की । ऐसे हालातों में राजकीय सआदत अस्पताल टोंक में मरीजों का दबाव होने से डॉक्टर्स को दिखाने व जांचों के लिए लंबी कतार लगी रहती है। यदि पुरानी टोंक की डिस्पेंसरी को मेन पावर सहित सुविधामय बना दिया जाए तो सआदत अस्पताल में मरीजों का दबाव भी कम हो जाएगा साथ ही पुरानी टोंक के लोगों को समीप ही चिकित्सा की सुविधा भी मिल जाएगी। इतना ही नही पुरानी टोंक क्षेत्र के लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकेगा।
-सीसीटीवी लगे तो अपराध पर लगाम लगे
आबादी के हिसाब से पुरानी टोंक एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें लगभाग 8 से 10 हजार मकानों में 60 हजार से अधिक की आबादि निवास करती है। क्षेत्र में कई प्रकार अवैध गैरकानूनी धंधों के कारण आए दिन लड़ाई -झगड़े होना आम बात है। अगर सीसीटीवी केमरे लनग जाएं तो इस प्रकार कि घटनाओं पर रोक लग सकती है।
आबादी के हिसाब से पुरानी टोंक एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें लगभाग 8 से 10 हजार मकानों में 60 हजार से अधिक की आबादि निवास करती है। क्षेत्र में कई प्रकार अवैध गैरकानूनी धंधों के कारण आए दिन लड़ाई -झगड़े होना आम बात है। अगर सीसीटीवी केमरे लनग जाएं तो इस प्रकार कि घटनाओं पर रोक लग सकती है।
-विरासतों को संरक्षण की दरकरार पुरानी टोंक क्षेत्र में विशेष रूप से चतुर्भुज तालाब सहित अस्तल का तालाब है जिसकों अतिक्रमण मुक्त करके सौन्दर्यकरण किए जाने की जरूरत है। चतुर्भुज तालाब टोंक का ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है जहां प्रमुख हिन्दू मेले तेजादशमी, जलझूलनी एकादशी, गणगौर आदि शामिल है।
इसी प्रकार गूर्जर सहित अन्य समाज की और से तालाब में दीपावली पर छांट भरने की रस्म भी की जाती है। लेकिन तालाब का सौन्दर्यकरण नही होने से यह अपनी पहचान खोता जा रहा है। वैसे पिछले भाजपा बोर्ड में इस दिशा में अमृत योजना में काम हुआ था वही तत्कालीन विधायक के प्रयासों से डीपीआर भी बनी थी लेकिन वह फाईलों में ही दफन हो गई।
-अस्तल के तालाब पर अतिक्रमण की मार
प्रमुख सन्त माधवदास महाराज की बगीजी अस्तल के तालाब का व आसपास अतिक्रममियों ने कब्जा कर मकान तक बना लिए है। । सन्त माधवदास महाराज न सिर्फ टोंक बल्कि तत्कालीन दिल्ली शासक तक अपनी चमत्कारी के कारण प्रसिद्ध हुए। यह अस्तल आज भी सन्त माधवदास महाराज की बगीची धार्मिक लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है । लेकिन अतिक्रमणकारियों ने अस्तल के नाम खाते की जमीन व तालाब पर अतिक्रण किए जाने यह धार्मिक स्थल अपनी पहचान खोता जा रहा है।
प्रमुख सन्त माधवदास महाराज की बगीजी अस्तल के तालाब का व आसपास अतिक्रममियों ने कब्जा कर मकान तक बना लिए है। । सन्त माधवदास महाराज न सिर्फ टोंक बल्कि तत्कालीन दिल्ली शासक तक अपनी चमत्कारी के कारण प्रसिद्ध हुए। यह अस्तल आज भी सन्त माधवदास महाराज की बगीची धार्मिक लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है । लेकिन अतिक्रमणकारियों ने अस्तल के नाम खाते की जमीन व तालाब पर अतिक्रण किए जाने यह धार्मिक स्थल अपनी पहचान खोता जा रहा है।
-अवारा मवेशी बने परेशानी का सबब
पुराने बस स्टेण्ड रोड से परकोटे के अन्दर जाने रास्तों पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा रहता है। इनसे कई बार वाहन चालक टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके है। -पांच हजार से अधिक लोगों का प्रतिदिन अना जाना
घंटाघर से सब्जी मण्डी, एलआईसी आफिस, इनकम टेक्स ऑफिस, दो बडे शिक्षण संस्थान, टीबी अस्पताल , चार बड़े मेरीज गार्डन एक दर्जन से अधिक मंदिर व धार्मिक स्थान आदि क्षेत्रों के लिए प्रतिदिन पांच हजार से लोगों का आना-जाना लगा रहता है।
-सिंकुडता बाजार, हल्की बरसात से दुकानों घुसता है पानी
-पुरानी टोंक क्षेत्र का बाजार भी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ता जा रहा है। जगह के अभाव में दूकानों के बाहर वाहन खडुे रहने के कारण यातायात तो बाधित हो ही रहा है साथ ही व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। इसी प्रकार 10 वर्ष पूर्व सडक के उपर बनाई सडक़ की ऊचांई बढऩे व अतिक्रमण के कारण बरसात का पानी दूकानों में घुस जाता है।
-पुरानी टोंक क्षेत्र का बाजार भी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ता जा रहा है। जगह के अभाव में दूकानों के बाहर वाहन खडुे रहने के कारण यातायात तो बाधित हो ही रहा है साथ ही व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। इसी प्रकार 10 वर्ष पूर्व सडक के उपर बनाई सडक़ की ऊचांई बढऩे व अतिक्रमण के कारण बरसात का पानी दूकानों में घुस जाता है।