हैडाकांस्टेबल बद्रीलाल यादव ने बताया कि पीडि़त जगदीश प्रसाद मीणा निवासी ऊंचा है। रिपोर्ट में बताया कि वह गत 15 फरवरी को एसबीआई के एटीएम में राशि निकलवाने आया। जहां उसने एटीएम मशीन से दो हजार रुपए निकाले तथा घर चला गया।
पीडि़त ने अंदेशा जताया कि राशि निकालने के दौरान पीछे खड़े व्यक्ति ने एटीएम के पिन नम्बर देख लिए। इसी आधार पर आरोपी ने उसके खाते से बारी-बारी से आधा दर्जन बार में 6 लाख एक हजार रुपए निकाल लिए।
पुलिस ने बताया कि वारदात का पता पीडि़त को दोबारा एटीएम पर रुपए निकालने जाने पर लगा। जब एटीएम से रुपए नहीं निकले तो, पीडि़त ने बैंक जाकर इसका पता किया। इस पर बैंककर्मियों ने बताया कि पिछले दिनों उसके खाते से लगातार रुपए निष्कासन होने पर संदेह के आधार पर बैंक ने राशि निष्कासन पर रोक लगा दी। पीडि़त ने पुलिस को बताया पुराने मोबाइल नम्बर के बंद होने की वजह से उसे राशि निष्कासन के मैसेज नहीं मिले।
थाना प्रभारी ग्यासुद्दीन ने बताया कि पीडि़त की रिपोर्ट दर्ज कर साइबर सेल टोंक भिजवाई जा रही है, ताकि मामले पर अनुसंधान शुरू हो सके। उल्लेखनीय है कि शहर में ऑनलाइन ठगी, एटीएम कार्ड बदलकर राशि निकालने व ऑनलाइन शॉपिंग की दर्जनों वारदातें हो चुकी है।
इसके बावजूद बैंक उपभोक्ताओं में जागरूकता नहीं आई है। थाना प्रभारी पीडि़त के एटीएम कार्ड के गोपनीय नम्बरों के आधार पर राशि निकालने का अंदेशा जताया है। पुलिस ने बताया कि पीडि़त के खाते में करीब 25 लाख रुपए थे, जो कि उसे सेवानिवृति पर मिले थे। यदि बैंक पीडि़त के खाते पर होल्ड नहीं लगाता तो, लाखों रुपए की ओर ठगी हो सकती थी।