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मन के विचारों व भावनाओं को शब्दो में पिरोना ही उपन्यासकार का मुख्य कार्य – डॉ. सूरजसिंह नेगी

locationटोंकPublished: Mar 25, 2019 04:07:17 pm

Submitted by:

Vijay

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मन के विचारों व भावनाओं को शब्दो में पिरोना ही उपन्यासकार का मुख्य कार्य – डॉ. सूरजसिंह नेगी

मालपुरा. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रशासनिक अधिकारी डॉ. सूरजसिंह नेगी द्वारा स्वरचित वसीयत और नियति चक्र को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मेंं इतिहासकार व टोडारायसिंह के उपखण्ड अधिकारी डॉ. सूरजसिंह नेगी ने बताया कि मन के विचारों व भावनाओं को शब्दो में पिरोना ही उपन्यासकार का मुख्य कार्य होता है।
डॉ. नेगी ने बताया कि पुस्तक लेखन में संवेग, मानवीय संवेदना, परम्परागत मूल्यो को स्थापित रखने में उमडऩे वाले भाव शब्द प्रदान किए जाने की कोशिश पुस्तकों में की गई है।

इस अवसर पर बीसीएमएचओ रमाशंकर स्वामी, जयसिंह व दीपक गुप्ता ने वसीयत पुस्तक पर पत्र वाचन किया। दूसरी पुस्तक नियति चक्र की समीक्षा विमला नागला, डॅा. अजीजुल्लाह शिरानी, डॉ. मनु शर्मा, अमीर अहमद सुमन, शशिकान्त पाठक ने समीक्षा पेश की। प्रधानाचार्य गिरधर सिंह ने आभार व्यक्त किया ।
बैठक आयोजित:

बनेठा. अखिल भारतीय विश्वकर्मा छात्र युवा संघ की बैठक हुई। इसमें सामाजिक सुधार को लेकर चर्चा की गई। महासचिव सुरेश जांगिड़ ने बताया कि संघ प्रदेशाध्यक्ष बीएन राजोरिया की अनुमति से जिला महासचिव पद पर महेश जांगिड़ व उनियारा ब्लॉक अध्यक्ष भवानीशंकर जांगिड़ निवासी बनेठा को मनोनीत किया। इस दौरान राजेश, बंटी, मनोज उपस्थित थे।
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