शूटिंगबॉल में पाकिस्तान को दी थी मात, अब युवाओं को दे रहे हैं प्रशिक्षण
खुद्दारी में नहीं लग पाए नौकरी
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अलताफ हुसैन उच्च मुकाम हासिल करने के बाद भी कोच तक के लिए तरस रहे हैं
जलालुद्दीन खान
टोंक. एक दौर था जब शूटिंगबॉल में पाकिस्तान टीम को शिकस्त देने वाले टोंक निवासी अलताफ हुसैन को सरआंखों पर बैठाया था, लेकिन उनके शूटिंगबॉल के रिकॉर्ड को राजस्थान सरकार की ओर से नजर अंदाज किया गया।

शूटिंगबॉल में पाकिस्तान को दी थी मात, अब युवाओं को दे रहे हैं प्रशिक्षण
खुद्दारी में नहीं लग पाए नौकरी
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अलताफ हुसैन उच्च मुकाम हासिल करने के बाद भी कोच तक के लिए तरस रहे हैं
जलालुद्दीन खान
टोंक. एक दौर था जब शूटिंगबॉल में पाकिस्तान टीम को शिकस्त देने वाले टोंक निवासी अलताफ हुसैन को सरआंखों पर बैठाया था, लेकिन उनके शूटिंगबॉल के रिकॉर्ड को राजस्थान सरकार की ओर से नजर अंदाज किया गया।
इसके पीछे बड़ा कारण उनकी खुद्दारी भी है और कुछ अतलाफ राजनीति की भेंट भी चढ़ गए। ऐसे में वे ना तो कोई नौकरी लग पाए और ना ही कोच। फिलहाल युवाओं को शूटिंगबॉल का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
वर्ष 1992 में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम में खेलने वाले अलताफ हुसैन ने कभी कोच बनने और नौकरी की मांग नहीं रखी। इसी का नतीजा था कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के बावजूद उनको हथौड़ा पकडऩा पड़ा और इलेक्ट्रीशियन की दुकान की।
चार साल पहले वो भी बंद कर दी। अब टोंक में शूटिंगबॉल का प्रशिक्षण दे रहे हैं। भारतीय टीम में खेलने के अलावा अलताफ हुसैन राजस्थान से 18 बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। यह भी एक अनोखा रिकॉर्ड है कि कोई खिलाड़ी अंतराष्ट्रीय के बाद 18 बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुका है।
जयपुर से शुरू हुई थी शुरुआत
अलताफ हुसैन के पिता अहमद हुसैन राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल थे। वे स्वयं भी शूटिंगबॉल के खिलाड़ी थे। ऐसे में बचपन में अहमद हुसैन की जब चित्तौडगढ़़ में ड्यूटी थी तब वहां अतलाफ हुसैन ने भी शूटिंगबॉल खेलनी शुरू की।
वर्ष 1960 में टोंक में पैदा हुए अलताफ हुसैन किशोरावस्था में जयपुर चले गए। बाद में उन्होंने 1975 में जनता बाजार जयपुर में इलेक्ट्रीशियन की दुकान लगा ली और शूटिंगबॉल खेलना भी जारी रखा। खेल के प्रति लगाव होने पर उनका चयन राजस्थान टीम से हो गया।
शृंखला अपने नाम की थी
भारत और पाकिस्तान के बीच जीमी मेमोरियल अंतरराष्ट्रीय शूटिंगबॉल चैम्पियनशिप की पांच दिवसीय शृंखला हुई थी। इसमें अलताफ इंडिया ब्लू टीम से 22 मई 1992 को जयपुर में हुए पाकिस्तान और भारत के बीच मैच में भारत की टीम से पहली बार खेले।
इस शृंखला के शुरू के तीनों मैच भारत की टीम ने पाकिस्तान को हराकर जीत लिए और शृंखला अपने नाम कर ली। इस शृंखला के मैच जयपुर, दिल्ली के समीप जौनापुर और महाराष्ट्र में हुए।
1996 थे खेलते थे
अलताफ हुसैन ने आखिरी राष्ट्रीय स्तर का मैच वर्ष 1996 में खेला। इसके बाद पिता की मौत हो गई तो वो टोंक आ गए। वर्ष 2020 में बच्चों के साथ टोंक ही रहने लगे हैं। चार साल पहले तक उन्होंने टोंक में इलेक्ट्रीशियन की दुकान भी की, लेकिन अब वे महज प्रशिक्षण दे रहे हैं।
अब किया कोच के लिए आवेदन
अलताफ का कहना है कि उनके खेल को हमेशा सराहा गया, लेकिन उनके हुनर को मुकम्मल मुकाम नहीं दिया गया। अंतराष्ट्रीय स्तर के अलावा 18 बार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने के बावजूद उन्हें कोच के लिए नहीं चुना गया।
जबकि कई कोच तो महज एक राष्ट्रीय स्तर का मैच खेलने के बाद ही कोच बन गए हैं। उन्होंने चार महीने पहले राजस्थान स्पोटर्स कॉन्सिल सवाईमानसिंह स्टेडियम जयपुर में शूटिंग बॉल के लिए आवेदन किया है। फिलहाल इसका उन्हें कोई जवाब नहीं मिल पाया है।
कभी मांगा नहीं, इस लिए कुछ मिला नहीं
अलताफ ने बताया कि वर्ष 1996 तक ही 18 बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुका था। तब कोच या नौकरी की मांग करता तो मिल जाती, लेकिन खुद्दारी में कभी मांग नहीं की और किसी ने नवाजा भी नहीं। ऐसे में उन्हें दुकान लगानी पड़ी।
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