जी हां हम बात कर रहे है कलक्ट्रेट के सामने टोंक में शुद्ध व स्वादिष्ट कचौरी के लिए जाने जाने वाले जैन कचोरी भण्डार की। यहां के संचालक धन्ना लाल जैन ने बताया कि उनके यहां पिछले 40 सालों से कचौरी व नमकीन बनाने का कार्य चल रहा है। जैन ने बताया कि इन 40 सालों में कई उतार-चढूाव आए लेकिन उन्होनें आज तक क्वालटी से कोई समझोता नही किया।
ग्राहकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए को शुद्ध गुणवत्तपूर्ण माल उपल्ब्ध करवाना ही उनका मकसद रहा है। जैन ने बताया कि 40 साल पहले जब दुकान पर कचौरी का काम शुरू किया था तब एक कचोरी 60 पैसे की थी। उस समय एक दिन में करीब 500 से 600 कचौरी प्रतिदिन खपत हो जाती थी।
धीरे-धीरे महंगाई बढऩे के साथ-साथ कचौरी की कीमत में बढ़ोतरी होती गई। आज 10 रूपए प्रति कचौरी की दर है। जैन ने बताया कि वर्तमान में वह रोजना दस से बारह घाण कचौरी के निकाल रहे है। एक घाण में लगभग 100 से 110 कचौरी निकलती है। जैन ने बताया कि दुकान के सामने जिला कलक्ट्रेट सहित अन्य सरकारी कार्यालयों में रोजाना लगभग 400 कचौरी ऑर्डर से बनाई जाती है ।
जैन ने यह भी बताया कि उनके यहां कारखाने में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ ही शुद्ध मुगंफली के तेल व घर पर तैयार किए गए मसाले ही काम में लिए जाते है। कचौरी के साथ मौसम के अनुसार दो तरह की चटनी कचौरी के साथ में दी जाती है।
कचौरी के अलावा यहां पर समौसे व कई प्रकार की नमकीन के लिए भी लोगों की लाईन लगी रहती है। जैन ने बताया कि कोटा में अपने रिश्तेदार की मिष्ठान भंडार की दुकान है जिनकी सलाह के बाद ही टोंक में कचौरी की दुकान खोली थी। इससे पूर्व परचूनी की दुकान किया करते थे।