इस दौरान मार्गों पर साइकल, बाइक, हाथ ठेला सहित अन्य साधनों में पानी भरे बर्तन दिखाई देते हैं। यही हाल है तहसील क्षेत्र के घाड़ कस्बे का जहां लोग भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। साथ ही कस्बे के समीप बीसलपुर परियोजना का पम्प हाउस बना हुआ है।
सरकार की अनदेखी के चलते पम्प हाउस से दूर-दराज के कस्बों-गांवों को पाइप लाइनों से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन घाड़ कस्बे को पेयजल उपलब्ध नहीं कराने से ‘घर का पूत कुंवारा डोले…..’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
वहीं इसी पेयजल संकट के चलते गत दिनों कस्बे मे फेले पीलिया रोग ने दर्जनों लोगों को चपेट में ले लिया था। मुश्किल से चिकित्सा विभाग के प्रयासों से रोग पर काबू पाया जा सका।
उल्लेखनीय हैकि चार हजार की आबादी वाले कस्बे में पंचायत की जनता जल योजना से उपभोक्ताओं को पेयजल सप्लाई की जाती है। दो ट्यबवैल के माध्यम से टंकी में पानी एकत्र किया जाता है।
दोनों बोरवेल में गर्मी के चलते पानी गहराई में चले जाने से उपभोक्ताओं को वर्तमान में 48 घंटों में मात्र पन्द्रह मिनट पेयजल सप्लाई हो पा रही है। आस-पास के करीब दो दर्जन से अधिक हैडपम्पों में पानी की जगह हवा निकलने लगी है। दिनेश बाहेती, मंगल सिंह, महावीर भाट व अन्य लोगों ने बताया की पेयजल संकट विकराल रूप ले रहा है।
बच्चे, महिला व पुरुष अंधेरे में उठ पानी की तलाश में लग जाते हैं। गांव से बाहर करीब दो किलोमीटर दूर स्थित दूनी मार्ग पर लगे एयर वॉल्व व नगरफोर्ट मार्ग पर बीसलपुर परियोजना की टंकी पर कतार लगने लगती है।
लोग साइकल, बाइक, ठेला सहित अन्य वाहनों में बर्तन रख पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। कस्बे के समीप बीसलपुर परियोजना का पम्प हाउस है, लेकिन उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। तत्कालीन भाजपा सरकार में परियोजना विभाग ने कस्बे में पेयजल के लिए करोड़ों की योजना बना स्वीकृती के लिए उच्चाधिकारियों को भेजी, लेकिन आज तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।
कस्बे को नहीं जोड़ा बीसलपुर परियोजना से
क्षेत्र के अधिकतर गांव-कस्बे बीसलपुर परियोजना से जुड़ शुद्ध पेयजल प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन घाड़ कस्बे को विभाग की ओर से अब तक इस योजना से नहीं जोड़ा गया।
पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी की अनुशंसा पर विभाग ने कस्बे में पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर स्वीकृती के लिए प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेज, लेकिन ये आगे नहीं बढ़ा। ग्रामीणों ने बताया कि अब तक कई बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से पेयजल उपलब्ध कराने की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
अवैध खनन ने घटाया जलस्तर
घाड़ कस्बा पहाडिय़ों के बीचों-बीच स्थित है। ये पहाड़ खनन के चलते जमीं-दोज हो गए हैं। इससे जंगल तो कम हुए ही पानी का जलस्तर भी कम होता चला गया।
क्षेत्र की बनास नदी तन में भी लगातार हो रहे मशीनों से बजरी खनन ने बनास का पारम्परिक चेहरा बदल दिया। अवैध बजरी खनन का भी क्षेत्र में बहुत प्रभाव हुआ और धीरे-धीरे जलस्तर टूटता चला गया।
मवेशियों का हो रहा बुरा हाल
गर्मी शुरू होने के बाद पेयजल समस्या से ग्रामीण ही नहीं मवेशियों का भी बुरा हाल है। राष्ट्रीय राजमार्ग, सरोली-सवाईमाधाुपर व सरोली-बूंदी राज्य राजमार्ग से सटे गावों-कस्बों की गलियों-सडक़ों पर भटकते आवारा मवेशी पेयजल के अभाव में आस-पास भरे गड्ढ़ों के गंदे पानी से प्यास बुझा रहे है तो कई पशुपालक दूर-दराज से पानी ला मवेशियों की प्यास बुझा रहे हैं।
सुनवाई नहीं हो रही
टयूबवैल का पानी नीचे जा चुका है। कुछ दिनों का पानी है। बाद में पानी के लिए त्राही-त्राही होगी। कई बार जनप्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
-उर्मिला देवी सरपंच ग्राम पंचायत, घाड़
जल्द शुरू करा देंगे
ग्रामीणों ने पेयजल समस्या से अवगत कराया था। परियोजना के पम्प हाउस से जोडऩे को लेकर सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। संभव हुआ तो जल्दी ही घाड़ में पेयजल व्यवस्था सुचारू कर दी जाएगी।
-मोहनलाल मीणा अधीशासी अभिंयता, बीसलपुर परियोजना