scriptपं.हीरालाल शास्त्री थे भारतीय संविधान समिति के सदस्य | Pt. Hiralal Shastri was a member of the Constitution Committee of Ind | Patrika News

पं.हीरालाल शास्त्री थे भारतीय संविधान समिति के सदस्य

locationटोंकPublished: Jan 25, 2022 09:06:49 pm

Submitted by:

jalaluddin khan

राजस्थान की रियासतों के एकीकरण में टोंक का भी रहा योगदाननिवाई. राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री व स्वतंत्रता सेनानी एवं वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक पं. हीरालाल शास्त्री ने भारत के संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पं.हीरालाल शास्त्री थे भारतीय संविधान समिति के सदस्य

पं.हीरालाल शास्त्री थे भारतीय संविधान समिति के सदस्य

पं.हीरालाल शास्त्री थे भारतीय संविधान समिति के सदस्य
राजस्थान की रियासतों के एकीकरण में टोंक का भी रहा योगदान
निवाई. राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री व स्वतंत्रता सेनानी एवं वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक पं. हीरालाल शास्त्री ने भारत के संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पंडित हीरालाल ने ग्रामोद्धार, गांधी के रचनात्मक कार्य, स्त्री शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर देश में एक विशेष पहचान बनाई थी। हीरालाल शास्त्री ने जयपुर प्रजामंडल, राजस्थान के निर्माण, उसकी एकीकरण प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण योगदान कर इतिहास में नाम अंकित किया था।
पं. हीरालाल शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम के समय में रियासती संग्राम एवं अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् में बहुत प्रेरणादायी और अति महत्वपूर्ण कार्य कर राष्ट्र भक्ति का परिचय दिया। जब भारत का संविधान बनाने के लिए जो संवैधानिक सभा बनी, उसमें राजस्थान के तीन प्रतिनिधियों में से एक हीरालाल शास्त्री भी थ़े जिन्होंने संवैधानिक सभा में भी महत्वपूर्ण योगदान देकर अपनी भूमिका निभाई।

जोधपुर से भी जयनारायण व्यास, उदयपुर से माणिक्यलाल वर्मा भी संविधान परिषद् में शामिल हुए। शास्त्री ने संविधान निर्माण प्रक्रिया में योगदान दिया। संविधान सभा की कार्यवाहियों में सक्रियता से भाग लेने के साथ-साथ उन्होंने देशी रियासतों को परिषद् में भागीदार बनने के लिए भी उत्प्रेरित किया़ जिससे लोगों उन्हें राजस्थान के लौह पुरुष कहने लगे।

हीरालाल शास्त्री ने आल इंडिया स्टेटेस पीपुल कांफ्रेस के महासचिव के तौर पर मई 1947 में एक सर्कुलर जारी कर देशी राज्यों के संवैधानिक सभा में शामिल होने की अनिच्छा संबंधी जानकारी भी एकत्र की थी। संवैधानिक सभा की द्मस्टैंडिग समितिद्य को जून 1947 में रिर्पोट प्रेषित की थी।

उनके अनुसार स्थानीय मुद्दों को बड़े पैमाने पर उठाने की जरूरत बताई थी। पं. शास्त्री ने संविधान सभा में समानता के अधिकारों पर 29 अगस्त 1947 को कहा था कि संविधान के निर्माण में सभी के मत और अधिकार समान रूप से माने जाएंगे। (ए.सं.)
सुने है आजादी के किस्सें
वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति और हीरालाल शास्त्री की पौत्रवधु प्रो.ईनाआदित्य शास्त्री ने बताया कि उन्होंने आजादी के बाद संविधान सभा का गठन कर देश प्रत्येक नागरिक ध्यान रखते हुए संविधान संरचना में भागीदारी निभाई। राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बनने के बाद राजस्थान के ग्रामीण अंचल में बालिका शिक्षा की अलख जगाई और वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना कर देश बालिकाओं को शिक्षित करने का बीडा उठाकर एक मिसाल कायम की।(ए.सं.)
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