वहीं अवैध रूप से मछलियों का आखेट किया जा रहा है। वन विभाग के स्तर पर सुरक्षा के अभाव में हरे वृक्षों की खुलेआम कटाई की जा रही है।झील को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए लगाई गई।
लाखों की फुलवारी नष्ट हो गई है। तक्षकगिरी पहाड़ी में तीन ओर से से घिरी बुद्धसागर प्राकृतिक झील स्थित है। दो दशक पहले वनविभाग ने सौंदर्यकरण के लिए यहां दोनों ओर फुलवारी व वृक्षावली विकसित की थी।
इसके बाद विभाग की अनदेखी व सारसंभाल के अभाव में फुलवारी ने अस्थित्व खो दिया। दीवारें व सुरक्षा दृष्टि से लगाई गई रैलिंग भी क्षतिग्रस्त हो गई। महल के पीछे जल महल से करीब आधा किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला प्राकृतिक जलाशय खारोळा सागर के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में इसे काली सागर के नाम से पुकारते थे।
इसके मध्य खुशहाल बाग स्थित है। एक समय था जब यहां राजा रानियां स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से खारोळा सागर में घूमने व सैर सपाटे को लेकर नौका विहार के लिए आते थे। खारोला सागर के पश्चिमी किनारे अरावली पहाड़ी व ऐतिहासिक महल है।
बरसात का एकत्र पानी खारोश्ळा सागर पर वर्ष भरा रहता था, लेकिन इस बार पानी के अभाव में सूख चुका है। प्रशासनिक उपेक्षा के बीच कचरागाह बन गया है। पर्यटन की संभावनाएं
तक्षकगिरी पहाड़ी तलहटी स्थित बुद्धसागर झील, खारोळा सागर व आमसागर कस्बे के रमणीक स्थल है। जहां शांत वातावरण में न केवल पक्षियों का कलरव सुनाई देता है, बल्कि एकांत में सुबह योगाभ्यास व घूमने वालो की चहल कदमी पिकनिक स्थल की शोभा बढ़ाती है।
तक्षकगिरी पहाड़ी तलहटी स्थित बुद्धसागर झील, खारोळा सागर व आमसागर कस्बे के रमणीक स्थल है। जहां शांत वातावरण में न केवल पक्षियों का कलरव सुनाई देता है, बल्कि एकांत में सुबह योगाभ्यास व घूमने वालो की चहल कदमी पिकनिक स्थल की शोभा बढ़ाती है।
इसमें बुद्धसागर की पाळ पर पीपाजी की गुफा व कई समाज के विरांगनाओं के सती स्थल भी है। उक्त स्थलो पर पर्यटन की विपुल संभावनाए है। इनका पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाना चाहिए।