टोंक में रेल की सात दशक से मांग चली आ रही है। अजमेर वाया नसीराबाद, वाया टोंक सवाई माधोपुर रेल प्रोजेक्ट के लिए अब तक सर्वे कार्य पुरा हो चुका है। अब मामला राज्य सरकार की ओर से आधा बजट budget व नि:शुल्क भूमि नहीं दिए जाने से अटका हुआ है। लोगों का बजट से उम्मीद है कि इस संबंध में राज्य सरकार बजट आवंटित कर कार्य को गति देगी। बनास में एनिकट बनाने के लिए बजट जारी हो भू जल स्तर बना रहे।
जिले में राज्य की सबसे बड़ी पेयजल योजना होने के बाद भी जिला मुख्यालय सहित शहरों-कस्बों में 24 घंटे में एक बार पानी नहीं मिल पा रहा है। गांवों में तो हालात और भी बदतर है। जिले को पिछले कई वर्षों से ईसरदा बांध के पानी का इंतजार है। भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति तो दी, लेकिन कार्य अभी शुरू नहीं हुआ। ऐसे में लोगों को पाइप लाइनों के विस्तार के अलावा ईसरदा बांध के लिए बजट आवंटित किए जाने की आस बनी हुई है।
जिले में युवाओं को स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के बाद जयपुर एवं कोटा की ओर रुख करना पड़ता है। ऐसे में उच्च शिक्षा मंहगी साबित हो रही है। जबकि जिला मुख्यालय राष्ट्रीय-राजमार्ग पर स्थित है संसाधन सस्ते एवं सुलभ है। ऐसे में मेडिकल, तकनीकी एवं शिक्षा क्षेत्र में उच्च संस्थान खुलने पर युवाओं को स्थानीय स्तर पर अध्ययन की सुविधा मिल सकेगी। जिले में पिछले एक दशक में करीब 150 यूनिट बंद हुई है।
ग्रामीणों को मिले परिवहन, रोजगार का बने हब
सांझ ढलने के बाद जिले के मुख्य शहर टोडारायसिंह एवं मालपुरा से टोंक आने के लिए रोडवेज उपलब्ध नहीं है। वहीं रात आठ बजे बाद जयपुर-कोटा मार्ग के अलावा अन्य स्थानों के लिए बसें उपलब्ध नहीं हो पाती है। आजादी के सात दशक के बाद भी गांवों में अभी डग्गेमार साधन ही परिवहन का साधन बने हुए है।
युवाओं को रोजगार के लिए जिले से पलायन रूके। उन्हें स्थानीय स्तर पर ही व्यवसाय करने के लिए अवसर मिले। शिक्षित युवाओं के लिए निजी क्षेत्र में कैम्पस की शुरुआत हो। वहीं जिला मुख्यालय पर हालात यह है कि कई श्रमिक तो रोजगार नहीं मिलने पर शाम को खाली हाथ वापस घर लौट रहे है।
रैफर पर लगे लगाम
राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्ग से जुड़े टोंक, मालपुरा, देवली, उनियारा एवं निवाई में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किया जाए। चिकित्सालय में विशेषज्ञों की नियुक्ति हो ताकि रैफर के आंकड़ों में कमी आए। वहीं राजमार्ग पर एक ट्रोमा स्थापित खोले जाने पर कई घायलों को तत्काल उपचार मिलेगा, जिससे उनकी जान बच सकेगी।
प्रतिभाओं को मिले प्रोत्साहन
जिले से खेल के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिभाएं निकली है, लेकिन संसाधन के नाम पर नाम मात्र की भी सुविधाएं नहीं है। जिले के किसी भी उपखण्ड में विकसित स्टेडियम नहीं है। जबकि यहां से हर वर्ष खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर नाम कमाया है। बजट से खेल प्रेमियों की काफी हद तक आस जुड़ी हुई है।
पर्यटन को लगे पंख
जिले में पर्यटन के प्रचुर अवसर है, जिन्हें कभी प्रोत्साहन एवं संरक्षण नहीं मिला। बीसलपुर, टोडारायसिंह के महल-बावडिय़ा, माण्डकला सरोवर, हाथी भाटा, सुनहरी कोठी, रसिया की छतरी को पहचान मिले तो जयपुर से रणथम्भौर के बीच पर्यटन स्थल विकसित हो सकता है। जिले में पर्यटन के विकास के विशेष पैकेज जारी होने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।
पुल बने, सडक़ें सुधरे
गहलोद रपट पर पुल बनने से टोंक से टोडारायसिंह, मालपुरा एवं पीपलू के दर्जनों गांवों को लाभ मिलेगा। बारिश में रपट पर कई बार पानी पर यह मार्ग बंद हो जाता है। वहीं गांवों में सडक़ों के हाल से विधायक पायलट भी परिचित हो चुके है। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि बारिश से गांवों में सडक़ें बनेगी तो मार्ग बंद नहीं होंगे।