आरोपियों ने टोडारायसिंह के गोलेड़ा गांव निवासी पीडि़त बालूराम शर्मा से एंश्योरेंस की राशि दिलवाने के नाम पर कई बार कर के एक करोड़ 31 लाख रुपए अपने खाते में डलवा लिए थे। इसका मामला बालूराम ने 15 जून 2018 को टोडारायसिंह थाने में दर्ज कराया था।
टोडारायसिंह पुलिस ने मामले को टोंक में साइबर अपराधों के अनुसंधान के लिए सदर थाने में स्थित साइबर सैल को भेज दिया था। मामले की गम्भीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक योगेश दाधीच ने टीम का गठन किया। इसमें अतिरक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार शर्मा के निर्देशन तथा उपाधीक्षक संजय शर्मा के नेतृत्व में सदर थाना प्रभारी जगदीश प्रसाद, उपनिरीक्षक दयाराम चौधरी, छोटेलाल, हैड कांस्टेबल सुरेश चावला, राजेन्द्रसिंह, अमरसिंह, कांस्टेबल नंदकिशोर, हनुमान, अनिता, साइबर सैल के प्रेमचंद गुर्जर व राजेश गुर्जर को शामिल किया। इसमें पुलिस उपनिरीक्षक दयाराम चौधरी, हैड कांस्टेबल सुरेश चावला, राजेन्द्रसिंह, अमर सिंह, साइबर सैल के प्रेमचंद गुर्जर, राजेश गुर्जर का विशेष योगदान रहा।
इस टीम ने करीब महीनेभर तक मामले की कई तकनीक का सहारा लेकर जांच की। इस टीम ने दिल्ली पुलिस के हैडकांस्टेबल आशाराम चौधरी व अमन बैंसला का भी सहारा लिया। कई बार दिल्ली भी गए। आखिर में टीम ने पीडि़त बालूराम के खाते से स्थानांतरित हुए खाते की डिटेल तथा उसके पास आने वाले मोबाइल फोन व खाता खुलवाने के लिए लगाए गए दस्तावेज की जानकारी जुटानी शुरू कर दी। मोबाइल नम्बर के आधार पर ही टीम ने पहले आरोपी विकास कपूर उर्फ सुहेल आलम को गिरफ्तार किया।
सूचना के बाद शेष आरोपी उत्तर प्रदेश की ओर फरार हो गए। जिन्हें दिल्ली पुलिस के दोनों कांस्टेबलों की मदद से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस आरोपियों से पूछताछ में जुटी है। उम्मीद है कि इन आरोपियों से देशभर के विभिन्न इलाकों में की गई ठगी का खुलासा होगा।
फार्म व मैसेज भी भेजे फर्जी
पीडि़त बालूराम ने वर्ष2011 में एक एंश्योरेंस कम्पनी से पॉलीसी ली थी। वर्ष2014 तक उसकी किश्तें जमा कराई, लेकिन बाद में बंद कर दी। पीडि़त के पास 21 नवम्बर 2017 को फोन आया कि पॉलीसी अधूरी है। इसका पूरा लाभ लेने के लिए एक और पॉलीसी लेनी होगी। इसके लिए उसे कोटा बुलाया गया और एक और पॉलीसी के नाम पर 25 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद लालच देने का ये सिलसिला चल पड़ा और आरोपियों ने आरबीआईके नाम से कई लेटर तथा मैसेज भेजकर उसे लालच में फंसाते गए। करीब दो दर्जन बार में बालूराम से एक करोड़ 31 लाख रुपए विभिन्न खातों में डलवाए गए। आखिर में पता चला कि ये सब ठग थे और उससे अपने खाते में राशि डलवा रहे थे। पीडि़त ने आरोपियों की ओर से बताए गए एक करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपए की पॉलिसी लेने के लिए चक्कर में कर्ज ले लिया।
पीडि़त बालूराम ने वर्ष2011 में एक एंश्योरेंस कम्पनी से पॉलीसी ली थी। वर्ष2014 तक उसकी किश्तें जमा कराई, लेकिन बाद में बंद कर दी। पीडि़त के पास 21 नवम्बर 2017 को फोन आया कि पॉलीसी अधूरी है। इसका पूरा लाभ लेने के लिए एक और पॉलीसी लेनी होगी। इसके लिए उसे कोटा बुलाया गया और एक और पॉलीसी के नाम पर 25 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद लालच देने का ये सिलसिला चल पड़ा और आरोपियों ने आरबीआईके नाम से कई लेटर तथा मैसेज भेजकर उसे लालच में फंसाते गए। करीब दो दर्जन बार में बालूराम से एक करोड़ 31 लाख रुपए विभिन्न खातों में डलवाए गए। आखिर में पता चला कि ये सब ठग थे और उससे अपने खाते में राशि डलवा रहे थे। पीडि़त ने आरोपियों की ओर से बताए गए एक करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपए की पॉलिसी लेने के लिए चक्कर में कर्ज ले लिया।