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Rajasthan News : केंद्र सरकार टैक्स हटाए तो राजस्थान में हो जाएगा सरसों का तेल सस्ता!

देश में सरसों पैदावार में राजस्थान की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। इसमें भी सरसों उत्पादन में टोंक जिला तीसरे नबर पर है। लेकिन तेल इकाइयों पर केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाकर उनकी सीमाओं को बाधित कर रखा हैं।

टोंकJul 29, 2024 / 01:36 pm

Kirti Verma

Tonk News : देश में सरसों पैदावार में राजस्थान की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। इसमें भी सरसों उत्पादन में टोंक जिला तीसरे नबर पर है। लेकिन तेल इकाइयों पर केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाकर उनकी सीमाओं को बाधित कर रखा हैं। यदि केन्द्र व राज्य सरकार टैक्स को हटा दें तो लोगों को सस्ती दर पर खाने के लिए सरसों का तेल मिल सकता है तथा तेल इकाइयां भी लाभान्वित हो सकती है।
केन्द्र सरकार राजस्थान को सरसों उत्पादक राज्य का दर्जा नहीं दे रही है, जिससे प्रदेश के सरसों का उत्पादन करने वाले किसान, मंडी व्यापारी और तेल मिल मालिकों को सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा है। केन्द्र सरकार राजस्थान को सरसों उत्पादक घोषित कर विशेष बजट देकर किसानों को प्रोत्साहित करे। जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो।
mustard factory
सालाना 6 हजार करोड़ का उत्पादन
गुणवत्ता के चलते टोंक के सरसों तेल की डिमांड प्रदेश के साथ पांच राज्यों में बढ़ रही है। जिले के कई उद्योग तो ऐसे हैं जो प्रदेश को छोड़ कर पश्चिम बंगाल में सरसों तेल की सप्लाई कर रहे हैं। हालांकि सरसों उत्पादन में प्रदेश के बाद हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश का नबर आता है। अच्छी गुणवत्ता के चलते टोंक जिले के तेल की मांग है। सालाना करीब 6 हजार करोड़ के तेल का निर्यात होता है। निवाई जिले में औद्योगिक हब भी बनता जा रहा है। जबकि जिले में 88 ऑयल मिल ही है।
तो बढ़ सकते हैं रोजगार के अवसर
उद्योगपतियों की माने तो निर्यात पर रोक हट जाए तो किसानों को उचित दाम मिल जाए। साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ जाए। साथ ही व्यापारियों के एक्सपोर्ट लाइसेंस का भी उपयोग हो जाए।
औद्योगिक क्षेत्र टोंक
रबी: एक हैक्टेयर में सरसों होती- 18 क्विंटल

mustard production
पोषाहार में हो सकता है उपयोग
कई तेलों को मिलाकर रिफाइंड तेल बनाया जाता है। उद्योगपतियों का कहना है कि इस तेल की प्रोसेसिंग में केमिकल का उपयोग होता है। रिफाइंड में 65 प्रतिशत फेट होता है। पॉम ऑयल पहले खाद्य सामग्री में काम नहीं आता था। अब इससे खाद्य सामग्री बनाकर बाजार में बेची जा रही है। यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। इसके बावजूद यह तेल सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए बनने वाले पोषाहार में सरकार की ओर से स्वीकृत है। सरकार इसकी जगह सरसों तेल के आदेश जारी करे तो किसान और व्यापार को फायदा होगा।
नहरी क्षेत्रों से मिल रहा फायदा
दूसरी तरफ जिले में बीसलपुर बांध और अन्य नहरी क्षेत्रों से सिंचाई होने पर करीब ढाई से तीन लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई होती है। जबकि बुवाई का कुल लक्ष्य ही 4 लाख है। इसमें एक चौथाई में सरसों को छोडकऱ अन्य फसलें होती है। जिले की सरसों की गुणवत्ता दाने में करीब 42 प्रतिशत (तेल) है। यह अच्छी मानी जाती है।
कई ब्रांड लेते हैं तेल
टोंक जिले की ऑयल मिल से कई ब्रांड भी तेल लेते हैं। वे इसे अपने प्रोडक्ट में शामिल करते हैं। इसके अलावा टोंक जिले का ब्रांड भी काफी मशहूर है। इसकी भी मांग अब बढ़ती जा रही है।

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