scriptराशन डीलर भुगत रहे हैं जेब से मजदूरी | Ration dealers are suffering from out of pocket wages | Patrika News

राशन डीलर भुगत रहे हैं जेब से मजदूरी

locationटोंकPublished: Oct 19, 2020 09:18:30 pm

Submitted by:

jalaluddin khan

निगम के लगा रहे चक्करदीपावली पर होगी आर्थिक तंगीढाई करोड रुपए है बकायाटोंक. उपभोक्ताओं तक राशन सामग्री पहुंचाने के लिए भले ही राज्य सरकार ने राशन डीलर को कम्प्यूटर से जोड़कर सभी प्रकार के सत्यापन कराए जा रहे हो, लेकिन प्रदेश के टोंक जिले में उन राशन डीलरों को दुकान पर आनी वाली सामग्री की मजदूरी भी थोपी जा रही है।

राशन डीलर भुगत रहे हैं जेब से मजदूरी

राशन डीलर भुगत रहे हैं जेब से मजदूरी

राशन डीलर भुगत रहे हैं जेब से मजदूरी
निगम के लगा रहे चक्कर
दीपावली पर होगी आर्थिक तंगी
ढाई करोड रुपए है बकाया
टोंक. उपभोक्ताओं तक राशन सामग्री पहुंचाने के लिए भले ही राज्य सरकार ने राशन डीलर को कम्प्यूटर से जोड़कर सभी प्रकार के सत्यापन कराए जा रहे हो, लेकिन प्रदेश के टोंक जिले में उन राशन डीलरों को दुकान पर आनी वाली सामग्री की मजदूरी भी थोपी जा रही है।
साथ ही वैश्विक महामारी कोरोना में तीन महीने तक खाद्य सामग्री में लोगों की मदद करने पर राशन डीलरों को कमीशन तक नहीं दिया गया।

कमीशन के लिए ही राशन डीलर खाद्य आपूर्ति निगम और रसद विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। इसके चलते जिले के राशन डीलरों के सामने दीपावली का पर्व भी फीका होने की सम्भावना है।

जिले में यह कमीशन करीब ढाई करोड़ रुपए है। वहीं राशन डीलर को मजदूरी भी जेब से देनी पड़ रही है। ऐसा नहीं करने पर रसद तथा निगम के अधिकारी राशन डीलर के खिलाफ कार्रवाई की धमकी देते हैं।
निगम कर्मचारियों के मुताबिक जिले के 550 राशन डीलर निगम से रसद सामग्री क्रय करते हैं। सामग्री के वितरण के बाद राशन डीलर को गेहूं में प्रति क्विंटल 125 रुपए कमीशन मिलता है। राशन डीलर की ओर से राशि जमा कराए जाने पर निगम की ओर से दुकान में डोर स्टेप डिलेवरी के तहत सामग्री पहुंचाई जाती है।
राज्य सरकार ने गेहूं व चने को राशन डीलर की दुकान में पहुंचाने के लिए टोंक में एक फर्म को टेंडर दिया है। सरकार की ओर से इस फर्म को उतराई व लदाई की मजदूरी दी जाती हैक, लेकिन टोंक जिले में इस फर्म की ओर से उतराई प्रति क्विंटल 6 रुपए राशन डीलर से ही लिए जा रहे हैं। जबकि नियमानुसार यह राशि नहीं ली जा सकती है। निगम के पास भी राशन डीलर शिकायत करते हैं तो अधिकारी अनदेखी बरतते हैं।

ढाई करोड़ हो गया कमीशन
खाद्य आपूर्ति निगम ने जिले के राशन डीलरों को कमीशन की राशि जून तक दिया है। इसके बाद से राशन डीलरों को कमीशन नहीं दिया गया।

जबकि सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन राशन डीलरों के माध्यम से वैश्विक महामारी कोरोना में लोगों की मदद के लिए कहा जाता है। जिले में करीब दो करोड़ 50 लाख रुपए तीन महीने का बकाया है।
यह कमीशन जुलाई, अगस्त, सितम्बर महीना व प्रवासी योजना का है। जिले का एक राशन डीलर करीब 90 क्विंटल गेहूं का वितरण करता है।


चने की कमीशन नहीं देते, मजदूरी जेब की
निगम की ओर से गेहूं का कमीशन ही दिया जाता है। जबकि गत अप्रेल से ही चने का वितरण किया जा रहा है। पहले तो राशन डीलर चने का वितरण करते थे, लेकिन अब आंगनबाड़ी की ओर से वितरण किया जा रहा है।
इसमें राशन डीलर को चने की उताई की मजदूरी जेब से लगानी पड़ती है। जबकि इसका कमीशन तक नहीं है। इसके बाद राशन डीलर चने को आंगनबाड़ी को देता है।


राशि पूरी जमा, फिर भी निकाला बकाया
दूसरी ओर जिले के राशन डीलरों ने क्रय की राशि निगम को जमा करा दी। इसके बावजूद निगम ने करीब एक दर्जन राशन डीलरों में बकाया निकाला है।
इसकी शिकायत भी निगम और रसद विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंची है। मामले में निगम की ओर से अब फिर से राशि की सीट मिलाई जा रही है।


पखवाड़ा खत्म अब आया चना
प्रदेश में उपभोक्ता पखवाड़ा एक से 15 तारीख तक होता है। इसमें राशन डीलर रसद सामग्री का वितरण करता है। सरकार के आदेश पर राशन डीलर असहाय योजना में चने का भी वितरण कर रहा है, लेकिन उन्हें खाद्य आपूर्ति निगम की ओर से कभी भी समय पर चना नहीं मिलता।
इससे राशन डीलर और उपभोक्ता दोनों को ही परेशानी होती है। यह चना 14 तारीख तक मिलना चाहिए, लेकिन जिले में इस बार भी कई राशन डीलर तक चना गत 16 अक्टूबर को पहुंचा है।

अभी बाहर हूं। बाद में कुछ कह पाऊंगी।
मोनिका मीणा जिला प्रबंधक खाद्य आपूर्ति निगम टोंक

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