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बिन रक्त अटक जाती है सांसें, रोगियों को करना पड़ता है रैफर

locationटोंकPublished: Jan 07, 2019 02:59:32 pm

Submitted by:

pawan sharma

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बिन रक्त अटक जाती है सांसें, रोगियों को करना पड़ता है रैफर

देवली. राजकीय अस्पताल देवली में ब्लड बैंक के अभाव के चलते यहां आने वाले रोगियों व उनके परिजनों को ब्लड के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जबकि स्थानीय अस्पताल के चिकित्सकों व कर्मचारियों पर समीपस्थ चार जिलों के रोगियों का भार है।
लिहाजा देवली अस्पताल की भौगोलिक स्थिति काफी अहम है, लेकिन अस्पताल में ब्लड की व्यवस्था नहीं होने से रोगी के परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल स्थानीय अस्पताल में ट्रोमा यूनिट स्थापित की गई है, जो राजमार्ग पर घटित होने वाली दुर्घटना के घायलों के लिए बेहद उपयोगी है, लेकिन अस्पताल में आने वाले गंभीर घायलों को रक्त के अभाव में तत्काल कोटा रैफर करना पड़ता है। चिकित्साकर्मियों ने बताया कि राजकीय अस्पताल में यूं तो स्टोर यूनिट है।

जहां रोगी के परिजन बाहर से लाए रक्त को इस यूनिट में सुरक्षित रख सकते है, लेकिन रक्त की अधिक आवश्यकता होने पर उन्हें तत्काल कोटा अथवा बंूदी भागना पड़ता है। ऐसे में रोगियों के जीवन पर हर समय तलवार लटकी रहती है।
जबकि अस्पताल में महिलाओं के प्रसव, गंभीर बीमारी के ऑपरेशन, दुर्घटना के घायलों के उपचार में, रोग के दौरान शरीर में खुन की कमी होने आदि में ब्लड की सख्त व त्वरित आवश्यकता होती है।
ऐसी दशा में परिजन कोटा जाकर ब्लड लाते है या फिर रोगी का रैफर कार्ड बनाकर परिजन उन्हें कोटा ही ले जाना पड़ता है। इसके चलते रोगियों के जीवन पर संकट बना रहता है। साथ ही परिजनों का आर्थिक नुकसान भी होता है।

चिकित्साकर्मियों ने बताया कि प्रत्येक माह शुक्रवार को लगने वाले सुरक्षित मातृत्व दिवस पर स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रसुताओं की जांच करती है। इनमें दर्जनों महिलाओं के रक्त की कमी होने पर उन्हें आयरन के इंजेक्शन लगाए जाते है।

लेकिन कई मामलों में प्रसुताओं को ब्लड चढ़ाना जरुरी होता है। लिहाजा प्रसव के दौरान परिजन ब्लड की व्यवस्था के लिए भागदौड़ करते रहते है।

जिले के बाद सर्वाधिक रोगी
देवली का अस्पताल यंू तो टोंक जिले के अधीन आता है। लेकिन शहर की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि यहां उपचार के लिए समीप के चार जिलों से रोगी आते है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग होने के चलते दुर्घटना के घायलों को तत्काल देवली अस्पताल लाया जाता है।
अस्पताल के आउटडोर आंकड़ो पर नजर डाले तो टोंक के बाद सर्वाधिक रोगियों का भार देवली अस्पताल में है। जहां प्रतिदिन औसतन 700 से 800 रोगी उपचार के लिए आते है। वहीं आधा दर्जन प्रसव प्रतिदिन करवाएं जाते है।
जिसके चलते स्थानीय अस्पताल में ब्लड बैंक की स्थापना महसूस की जा रही है। हालाकि इस सम्बन्ध में पूर्व में भी जनप्रतिनिधियों ने कई बार ब्लड बैंक की मांग उठाई, लेकिन हर बार उक्त मांग आश्वासनों में दबकर रह गई।
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