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तीसरी लहर : संसाधन नहीं जुटाए तो बिगड़ सकते है हालात

देश के विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर की कुछ माह में आंशका जताई है तथा तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमित होने की आशंका बताई जा रही है। वहीं जिला मुख्यालय पर इसको लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई है तो सीएचसी स्तर पर अभी के हालातों से राहत मिल पाना मुश्किल है।

टोंकMay 17, 2021 / 09:21 am

pawan sharma

तीसरी लहर : संसाधन नहीं जुटाए तो बिगड़ सकते है हालात

टोंक. देश के विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर की कुछ माह में आंशका जताई है तथा तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमित होने की आशंका बताई जा रही है। वहीं जिला मुख्यालय पर इसको लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई है तो सीएचसी स्तर पर अभी के हालातों से राहत मिल पाना मुश्किल है।
पर्याप्त संसाधनों के अभाव में उपखण्ड स्तर पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत उपचार को लेकर दूसरी लहर के समान होने की संभावना बनी हुई है। वहीं जानकारी अनुसार जिले में करीब चार लाख से अधिक आबादी 18 वर्ष से कम उम्र की है। हालांकि दूसरी लहर में 30 से 50 वर्ष के लोग अधिक संक्रमित पाए गए है। वहीं कोविड -19 महामारी की संभावित तीसरी लहर से बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनिवाल ने सभी जिला कलक्टर को आदेश भी जारी कर दिए है।
जिला मुख्यालय पर मातृ शिशु कल्याण केन्द्र में संचालित शिशु यूनिट में बीस बेड का आईसीयू है। यहां पर अलग से वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है। इसके लिए सआदत अस्पताल का ही एक मात्र सहारा है। यहां जिले में सर्वाधिक संस्थागत प्रसव होने के कारण आईसीयू हमेशा भरा रहता है। निवाई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के शिशु रोग विशेषज्ञ राजेश जैन के अनुसार फिलहाल सीएचसी में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है। एनबीएसयू में तीन वार्मर मशीन उपलब्ध है। तथा कुछ उपकरणों व संसाधनों की विधायक से मांग की गई है।
संसाधनों की दरकार

टोडारायसिंह में शिशु रोग विशेषज्ञ का पद करीब आठ माह से रिक्त चल रहा है। वहीं मालपुरा में अलग से शिशु वार्ड का अभाव है। विधानसभा क्षेत्र का भार उठा रहे इस अस्पताल की ओर कभी जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का ध्यान नहीं किया। यहां मात्र चार वार्मर लगे हुए है तथा बच्चों को कॉमन वार्ड में ही भर्ती किया जा रहा है। वहीं फोटो थैरेपी मशीन अब तक नहीं मिली है।

पीपलू सीएचसी के शिशु रोग विशेषज्ञ रामअवतार माली ने बताया उनके यहां मात्र एक वार्मर है। इसके अलावा अब तक कोई भी सुविधा नहीं जुट पाई है। ऐसे में अगर बच्चों में संक्रमण फैलता है तो रैफर के अलावा सीएचसी में कोई भी सुविधा नहीं है।
कैसे हो जांच, पद ही रिक्त

जिले की विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 75 लैब टेक्नीशियन के पद सृजित है, लेकिन इनमें 33 पद रिक्त है। ऐसे में मरीजों की जांच पर जेब कट रही है। वहीं फार्मासिस्ट के 67 में से 45 पद रिक्त होने के कारण नर्सिंग कर्मचारियों को दवा वितरण का कार्य करना पड़ रहा है।
करने होंगे पुख्ता इंतजाम
आने वाले खतरे को पहले भांपते हुए जिला व चिकित्सा प्रशासन को पुख्ता इंतजाम करने होंगे। दूसरी लहर की तरह ही तीसरी भी आती है तो फिर से एक बार संसाधनों की आवश्यकता महसूस होगी। देरी होने पर वर्तमान की तरह कई मरीजों को परेशानी भी उठानी पड़ सकती है। विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की संभावना जताई है। यहां एक अन्य बीस बेड का वार्ड संचालित किया जा सकता है। वार्मर, वेंटिलेटर, नेबूलाइजर, 15 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सहित अन्य उपकरणों की मांग की गई है। तथा स्टाफ बढ़ाने के लिए भी लिखित में अवगत कराया गया है। विनोद परवेरिया,प्रभारी मातृ-शिशु कल्याण केन्द्र, टोंक
आयोग अध्यक्ष ने जिले के शिशु अस्पतालों व सामान्य अस्पतालों के शिशु वार्डों में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी जैसी आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए जिला कलक्टर को निर्देशित किया है। ताकि यदि संक्रमण की स्थिति होती है तो अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव नहीं हो। हेमराज चौधरीअध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, टोंक

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