वर्षों पूर्व आगार कार्यालय के पास ट्यूबवैल से जलापूर्ति होती थी। इसके लिए स्टार्टर एवं विद्युत उपकरणों के लिए एक कमरा बनवाया था। अब जेल चौकी स्थित पम्प हाउस से सप्लाई होने से विद्युत कनेक्शन नहीं है और ट्यूबवैल से अब आपूर्ति भी बंद है। इसके बाद से अभियंताओं ने इस ओर आंखें भी मूंद ली। जबकि रेस्टोरेंट संचालक करीब एक वर्ष से इस पर काबिज है और रोज शाम को इस कमरे में सामान रख कर ताला लगा कर जाता है।
यहां रोज जेईएन व एईएन भी गुजरते भी है, लेकिन कार्रवाई के प्रति मौन है। इधर, रेस्टोरेंट सत्यनारायण ने बताया कि कमरा खुला रहने से समाजकंटकों का जमावड़ा रहता था। इसलिए उसने सामान रखना एवं शाम को ताला लगाना शुरू कर दिया। वहीं सहायक अभियंता राधेश्याम गुप्ता का कहना है कि अधीक्षण अभियंता से कमरे पर कब्जा होने की सूचना मिली है। वहां एक होटल तो चल रहा है कि किसी ने बताया ही नहीं।
प्रतिबंध के बाद भी खुलेआम हो रहा है मछली का शिकार
राजमहल. बीसलपुर बांध के जलभराव क्षेत्र में मत्स्य आखेट बंद होने के बाद भी शिकार जारी है। इसकी जानकारी मत्स्य विभाग के अधिकारियों को भी है, लेकिन कार्रवाईमें लापरवाही बरती जा रही है। उल्लेखनीय है कि हर वर्ष मत्स्य विभाग की ओर से १५ जून से ३१ अगस्त तक मछलियों में प्रजनन को लेकर बांधों व नदी, तालाबों में मत्स्य शिकार पर रोक लगा दी जाती है। इस वर्ष भी गत 8 जून से मछली के शिकार पर पूर्णतया रोक लगा दी थी। इसके बावजूद मछलियों का अवैध शिकार जारी है।
इधर, बीसलपुर बांध के जलभराव क्षेत्र में प्रशासन की ओर से बिना लाइसेंस व फिटनेस की नाव पर रोक लगा रखी है, लेकिन चोरी से मछलियों का शिकार करने वाले लोग जलभराव में अवैध नौकाओं का संचालन कर रहे हैं। साथ ही जलभराव में बैरोकटोक अवैध जाल डालकर मछलियां भी पकड़ रहे हैं। मछलियां जयपुर, कोटा, सहित अन्य मंडियों में बिक रही है।
ये मछली का शिकार जलभराव क्षेत्र के माताजी रावता, बांध के गेट संख्या तीन के करीब, नेगडिय़ा व नापा का खेड़ा पुलिया के पास, थड़ोली, सुजानपुरा आदि क्षेत्रों में रात को अवैध जाल डालकर अलसुबह तक किया जा रहा है। मामले को लेकर मत्स्य विकास अधिकारी टोंक राकेश देव से बात करनी चाही, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।